अगर किसी लिस्टेड कंपनी में प्रवर्तकों की शेयरधारिता से बचे हिस्से का कम से कम 50 फीसदी भाग डीमैट (डीमैटरियलाइज्ड) रूप में नहीं हुआ तो 31 अक्टूबर 2010 के बाद उनके शेयरों में ट्रेडिंग सामान्य सेगमेंट में नहीं हो सकती। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने यह सर्कुलर गुरुवार को सभी स्टॉक एक्सचेंजों को भेजा है। हालांकि इसे सार्वजनिक शुक्रवार को किया गया। सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से कहा है कि 31 अक्टूबर तक कंपनियों से यहऔरऔर भी

हमें अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि बाजार महंगा चल रहा है। बाजार (सेंसेक्स) जब 8000 अंक पर था, तब कोई स्पष्टता नहीं थी। तब से लेकर अब तक 18,000 अक की पूरी यात्रा के दौरान वे यकीन के साथ खरीदने के मौके नहीं पकड़ सके। इसके बजाय हर बढ़त पर वे बेचते रहे। देखिए तो सही कि इस दौरान एफआईआई की होल्डिंग 20 से घटकर 16 फीसदी और रिटेल की 10 से घटकर 8औरऔर भी

जन्माष्टमी पर ध्यान बालकृष्ण पर न जाता तो आश्चर्य होता। सो, पहले से ज्यादा लोगों ने बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के शेयरों की खरीद की और यह शेयर बीएसई में (कोड – 502355) 6.27 फीसदी बढ़कर 710.60 रुपए और एनएसई में (कोड – BALKRISIND) 6.35 फीसदी बढ़कर 713.90 रुपए पर बंद हुआ। ठहरे हुए बाजार में किसी भी शेयर का एक दिन में 6 फीसदी से ज्यादा बढ़ जाना मायने रखता है। लेकिन बालकृष्ण इंडस्ट्रीज पर ध्यान दें तोऔरऔर भी

जहां गोदामों में लाखों टन अनाज होने के बावजूद करोड़ों लोग भूखे सोते हों, जहां प्रतिभाओं की खान के बावजूद काम के काबिल लोग नहीं मिलते, उस व्यवस्था को हम सच्चा लोकतंत्र कैसे कह सकते हैं।और भीऔर भी

देश की तकरीबन 40 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में की जानेवाली छोटी से बड़ी खरीद में इस कदर भ्रष्टाचार छाया हुआ है कि ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम अपनाने का काम एक बार फिर 26 अक्टूबर 2010 तक टाल दिया गया है। खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए पहले तय हुआ था कि 10 लाख रुपए से ज्यादा की सारी खरीद 1 अगस्त 2010 से ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम से ऑनलाइन की जाएगी। लेकिन ऐन-वक्त पर इसकी तारीख टाल कर 1 सितंबर 2010 करऔरऔर भी

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहेऔरऔर भी

यूं तो हाइपरटेंशन अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन पॉलिसीधारक इसके इलाज पर जो भी खर्च करता है, उसका क्लेम वह बीमा कंपनी से ले सकता है। यह फैसला है दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग का। जस्टिस बी ए जैदी की अध्यक्षता वाले आयोग ने कहा है, “हाइपरटेंशन बीमारी नहीं, बल्कि मानव जीवन की सामान्य गड़बड़ी है जिसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। यह ऐसा कोई मर्ज नहीं है जिसके इलाज के लिए अस्पतालऔरऔर भी

बेस्ट एंड क्रॉम्प्टन इंजीनिरिंग में जोखिम बहुत है तो रिटर्न भी बहुत मिल सकता है। कल इसका शेयर बीएसई (कोड – 500046) में 2.36 फीसदी बढ़कर 17.35 रुपए और एनएसई (कोड – BECREL) में 2.94 फीसदी बढ़कर 17.50 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी मुश्किलों से उबरने के दौर में है और अंदाजा है कि इसका स्टॉक दस-बारह महीनों में 45 रुपए तक जा सकता है। यानी 150 फीसदी से ज्यादा रिटर्न के साथ शेयर अब केऔरऔर भी

किसी अनोखे विचार पर गुमान पालना ठीक नहीं क्योंकि हम विचार को नहीं, विचार हमें चुनता है। आइंसटाइन का नाम गिलबर्ट भी हो सकता था और गैलीलियो का अब्राहम भी। इसलिए नाम नहीं, काम से वास्ता रखो दोस्त!और भीऔर भी

बैंकिंग उद्योग में ऐसा पहली बार हुआ है। आईडीबीआई बैंक ने चेक बाउंसिग के अलावा सेंविग्स और करंट एकाउंट से जुड़े सारे के सारे शुल्क खत्म कर दिए हैं। यह फैसला 1 सितंबर, बुधवार से लागू हो गया है। इसका मतलब यह होगा कि बैंक का कोई भी खाताधारी उससे डिमांड ड्राफ्ट बनवाएगा तो उसे एक पैसा भी शुल्क नहीं देना पड़ेगा। वह इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर भी मुफ्त में करवा सकता है। उस पर अपने खाते मेंऔरऔर भी