चालू वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8.8 फीसदी रही है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का रहा है जिसमें इस बार 12.4 फीसदी वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह केवल 3.8 फीसदी बढ़ा था। सेवाओं में वित्तीय, बीमा व रीयल एस्टेट की वृद्धि दर 11 से घटकर 8 फीसदी रह गई है। हालांकि कंस्ट्रक्शन में 4.8 फीसदीऔरऔर भी

पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर का 8.8 फीसदी रहना बाजार की उम्मीद के अनुरूप है। हमने तो सोचा था कि यह 8.5 फीसदी रहेगी, लेकिन भारत की विकासगाथा मद्धिम नहीं पड़ी है। शुक्रवार को ऑपरेटरों की तरफ से कुछ बिकवाली हुई थी। यह बात उनके इंटरव्यू में भी जाहिर हुई। लेकिन सोमवार को एफआईआई की खरीद बेरोकटोक जारी रही। बाजार के ऑपरेटर निफ्टी को गिराकर 5250 तक ले जाना चाहते हैं। इसलिए हमें इसके लिएऔरऔर भी

देश की तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में सालाना खरीद के टेंडरों में भयंकर पक्षपात व धांधली होती है। यहां तक कि अफसरों व बाबुओ ने तमाम फर्जी कंपनियां बना रखी हैं जिनके नाम ही ज्यादातर टेंडर जारी किए जाते हैं। इन अफसरान की मेज के दराज में ही कंपनियों के लेटरहेड पड़े रहते हैं और वे बिना किसी शर्म के एक ही अंदाज में कई कंपनियों की तरफ से टेंडर भर देते हैं। यह बात ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों मेंऔरऔर भी

शेयर बाजार की चाल को देखकर जब बड़े-बड़े विद्वान भी खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं तो कुछ दिनों या महीनों से इसे साधने की कोशिश में लगे हम-आप अगर ऐसी भावना के शिकार होते हैं तो इसमें परेशान होने की बात नहीं है। असल में शेयरो में निवेश जहां विज्ञान है, वहीं यह एक कला भी है जो अभ्यास से आती है। इसलिए मुझे तो लगता है कि तुरंत कूद पड़ने के बजाय हमें थोड़ी-सीऔरऔर भी

इस जहान में निरपेक्ष या निष्पक्ष जैसा कुछ नहीं। यह कोई मंजिल नहीं, एक अवस्था है प्रकृति के स्वभाव के साथ एकाकार होने की। तलवार की धार पर संतुलन नहीं बन पाता तो हम इधर या उधर के हो जाते हैं।और भीऔर भी

डायरेक्ट टैक्स कोड बिल या प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक सोमवार को संसद में पेश कर दिया है। लेकिन अपेक्षा के विपरीत इसे अप्रैल 2011 के बजाय अप्रैल 2012 से लागू किया जाएगा। माल व सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की तिथि पहले ही आगे खिसकाने का आधार बन चुका है। इस तरह प्रत्यक्ष व परोक्ष कर से जुड़े दो अहम सुधार साल भर आगे खिसका दिए गए हैं। पहले कहा जा रहा था कि पेश करने केऔरऔर भी

फिनलैंड की मोबाइल हैंडसेट निर्माता कंपनी नोकिया इस साल नवंबर तक भारत में अपना सर्वर स्थापित कर देगी। सरकार की ओर से सुरक्षा उपायों के ठोस प्रयासों के कारण कंपनी ने ऐसा निर्णय किया है। नोकिया के इस कदम से ब्लैकबेरी को भी ऐसा कदम उठाने के लिए बाध्य किया जा सकता है। नोकिया इंडिया के प्रबंध निदेशक डी शिवकुमार ने दिल्ली में मीडिया को बताया, ‘‘हम पांच नवंबर को अपना सर्वर स्थापित कर देंगे। इस प्रकारऔरऔर भी

डीलर, ट्रेडर और ब्रोकर अपनी स्क्रीन रीडिंग के आधार पर बाजार का रुझान तय करते हैं। स्क्रीन तो दिखा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से एफआईआई की खरीद नदारद है। इसलिए बाजार नीचे फिसल रहा है और करेक्शन के लिए तैयार है। उनकी स्क्रीन रीडिंग से मुझे कोई इनकार नहीं। लेकिन यह अल्पकालिक तरीका है क्योंकि बाजार में अगर दो बजे खरीद शुरू होती है तो यही लोग इस तरह के सिद्धांत गढ़नेवाले अपने गुरुघंटालों काऔरऔर भी

हिन्डेनबर्ग की अशुभ छाया का डर बरकरार है। पूरे सितंबर भर रहेगा। दुनिया के बाजार गिरेंगे तो स्वाभाविक रूप से भारत पर भी असर पड़ेगा। वैसे भी हमारे एक बड़े फंड हाउस के प्रमुख कह चुके हैं कि बाजार में 10 फीसदी करेक्शन आना है। लेकिन कौन बेचेगा जिसके चलते यह करेक्शन आएगा? बीते शुक्रवार को बाजार (बीएसई सेंसेक्स) 1.25 फीसदी गिर गया। इस हिसाब से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सौदों के ओपन इंटरेस्ट में कमी आनी चाहिएऔरऔर भी

किसी अच्छी चीज की सप्लाई बंधी-बंधाई हो और लोग-बाग उसे खरीदने लगें तो उसके भाव बढ़ जाते हैं। यह बहुत मोटा-सा, लेकिन सीधा-सच्चा नियम है। लेकिन जब खरीदने के काम में निहित स्वार्थ वाले खिलाड़ी लगे हों और लोगबाग उधर झांक भी नहीं रहे हों तो यह नियम कतई नहीं चलता। हमारे शेयर बाजार में यही हो रहा है। इसका एक छोटा-सा उदाहरण बताता हूं। गुरुवार को कोलकाता से बाजार के एक उस्ताद का एसएमएस 12 बजकरऔरऔर भी