देश में कच्चे तेल की रिफाइनिंग क्षमता 2013 तक 22 फीसदी बढ़कर 23.8 करोड़ टन हो जाएगी। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने सोमवार को यह जानकारी दी। बता दें कि राज्यमंत्री इसलिए खुलकर बोल रहे हैं क्योंकि कैबिनेट मंत्री जयपाल रेड्डी इस समय 20वीं विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस में भाग लेने के लिए दोहा (कतर) गए हुए हैं।
आरपीएन सिंह ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि देश की रिफाइनिंग क्षमता फिलहाल 19.4 करोड़ टन है, जो 2013 तक बढ़कर 23.8 करोड़ टन हो जाएगी। 2010-11 में देश में ईधन की अनुमानित मांग 14.17 करोड़ टन रही है। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान ईधन की मांग में सालाना 4-5 फीसदी का इजाफा होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन उड़ीसा के पारादीप में 1.5 करोड़ टन क्षमता की रिफाइनरी लगा रही है। वहीं हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) पंजाब के बठिंडा में 90 लाख टन क्षमता की रिफाइनरी लगा रही है। इसके अलावा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) का इरादा अपनी मध्य प्रदेश की बीना रिफाइनरी की क्षमता 60 लाख टन सालाना से बढ़ाकर 90 लाख टन करने का है।
सिंह ने बताया कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल आयातक है। देश में कुल ऊर्जा खपत में तेल व गैस का हिस्सा 45 फीसदी है। देश की 78 फीसदी पेट्रोलियम की जरूरत कच्चे तेल के आयात से पूरी की जाती है, वहीं प्राकृतिक गैस की 25 फीसदी जरूरत भी आयात से पूरी होती है।
इस समय देश में गैस की मांग 16.6 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन की है, जिसके 2017 तक बढ़कर 44.3 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन तक पहुंचने की संभावना है। मंत्री ने कहा कि भारत कच्चे तेल के आयात में विविधीकरण की नीति अपना रहा है, ताकि उसे अपनी जरूरत के लिए दुनिया के किसी एक हिस्से पर ही निर्भर न रहना पड़े। आज भारत अपनी 21.5 फीसदी कच्चे तेल की जरूरत अफ्रीका से पूरी कर रहा है। नाइजीरिया, अंगोला, अल्जीरिया, मिस्र, कैमरून, इक्वेटोरियल गिनी और सूडान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देश हैं।