पहले इसका नाम जिंदल स्टेनलेस स्टील था। 2008 में इसके जेएसएल बनाया गया और फिर मई 2010 में इसे जेएसएल स्टनेलेस लिमिटेड (बीएसई कोड – 532508, एनएसई कोड – जेएसएल) कर दिया गया है। इक्रा ऑनलाइन की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि यह देश में स्टेनलेस स्टील बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनी है। घरेलू स्टेनलेस स्टील बाजार में उसकी हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है। उसकी छह भारतीय और 11 विदेशी सब्सिडियरियां हैं। कंपनी के दो रुपए अंकितऔरऔर भी

किसी शेयर की बुक वैल्यू 17.97 रुपए हो और बाजार में उसका भाव पिछले कई महीनों से 12-14 रुपए चल रहा हो तो समझ में नहीं आता। लेकिन नाकोडा लिमिटेड का हाल ऐसा ही है। ऐसा नहीं कि इसके बारे में किसी को जानकारी न हो और यह कोई गुमनाम कंपनी हो। मीडिया से लेकर इंटरनेट के अलग-अलग फोरम पर इसके बारे में बराबर लिखा जा रहा है। कइयों ने इसे मल्टी बैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला)औरऔर भी

कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स का शेयर केवल बीएसई में लिस्टेड है। शुक्रवार को यह 12.18 फीसदी बढ़कर 128.95 रुपए पर बंद हुआ और इसमें कारोबार भी औसत से बहुत ज्यादा हुआ। जहां पिछले दो हफ्तों का औसत 33,000 शेयरों का रहा है, वहीं शुक्रवार को इसमें 2.33 लाख शेयरों का कारोबार हुआ। इसके पीछे की वजह यह है कि कंपनी के बारे में कोई बड़ी खबर आने को है। जानकार बताते हैं कि इस शेयर में अभीऔरऔर भी

हफ्ते भर में कभी फुरसत ही नहीं मिलती कि आपसे कोई सीधी बात हो सके। तीन महीने बीत गए, चौथा बीतने जा रहा है। देखिए, एक बात तो तय मानिए कि हमारा रिश्ता लंबा होने जा रहा है। अर्थकाम को धीरे-धीरे ऐसा बना देना है कि वह हमारी-आपकी दुनिया की देखभाल में सक्षम हो जाए। मेरे एक अभिन्न मित्र ने शुरुआत के वक्त कहा कि चलिए आप अर्थ-काम देखिए, हम धर्म-मोक्ष संभाल लेते हैं। बात मुझे अचानकऔरऔर भी

सुबह लिखते समय हमें भी इतनी उम्मीद नहीं थी। लेकिन दोपहर के करीब 1 बजे थे और ऋद्धि सिद्धि ग्लूको बिऑल्स का शेयर 20 फीसदी बढ़कर जैसे ही 338.75 रुपए पर पहुंचा, उस पर सर्किट ब्रेकर लग गया और इसमें बाकी दिन के लिए कारोबार रुक गया। लेकिन तब तक उसमें 6.34 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हो चुकी थी, जबकि पिछले दो हफ्तों का औसत कारोबार 90,000 शेयरों का ही रहा है। ऐसा क्या हो गया तोऔरऔर भी

ऋद्धि सिद्धि ग्लूको बिऑल्स देश में स्टार्च और उस पर आधारित उत्पाद बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनी है। वह लगभग 35 उत्पाद बनाती है जिसमें तरल ग्लूकोज, डेक्सट्रोज, मोनोहाइड्रेट और मक्के का स्टार्च पाउडर शामिल हैं। उसने हिंदुस्तान लीवर और ग्लैक्सो तक की कॉर्न प्रोसेसिंग इकाइयां अतीत में खरीदी हैं। अहमदाबाद में इसका मुख्यालय है और इसकी उत्पादन इकाइयां गोकाक (कर्नाटक), पंतनगर (उत्तराखंड) और वीरमगाम (गुजरात) में हैं। इसमें फ्रांस की बहुराष्ट्रीय कंपनी रोके फ्रेरे (Roquette Freres)  नेऔरऔर भी

फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज (एफआईएल) का शेयर हफ्ते भर पहले ही 14 जुलाई को 95.90 रुपए पर 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंचा है। अभी यह 89.65 रुपए पर चल रहा है जो 2009-10 के ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 10.67 रुपए से 8.41 गुना है। इसी की जैसी अन्य कंपनियों में जैन इरिगेशन का पी/ई अनुपात 33.31 और सिंटेक्स इंडस्ट्रीज का पी/ई अनुपात 16.84 है। फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज के शेयर की बुक वैल्यू 47.23 रुपए है। इस तरह उसकेऔरऔर भी

मारुति सुजुकी का नाम ही काफी है। कंपनी पहली तिमाही के नतीजे इसी हफ्ते शनिवार 24 जुलाई को घोषित करने जा रही है। वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 29,629 करोड़ रुपए की आय पर 2497.62 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसके पास 31 मार्च 2010 तक 11,690.6 करोड़ रुपए के रिजर्व थे। कंपनी की इक्विटी 144.46 करोड़ रुपए है। इसका 54.21 फीसदी हिस्सा जापानी कंपनी सुजुकी के पास और बाकी 45.79 फीसदी हिस्सा पब्लिक केऔरऔर भी

शासुन केमिकल्स एंड ड्रग्स (एससीडीएल) दुनिया में इबुप्रोफेन और गाबापेंटिन बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वह रैनिटिडाइन व नाइजैटिडाइन जैसी दवाओं की प्रमुख निर्माता है। उसने 2006 में ब्रिटेन में एक अधिग्रहण के बाद शासुन फार्मा सोल्यूशंस (एसपीएस) नाम की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सडियरी बना रखी है। 2009 से वह बायोटेक क्षेत्र में भी उतर चुकी है। उसके पास चेन्नई में अपनी आर एंड डी सुविधाएं हैं। वह अमेरिकी कंपनी वरटेक्स फार्मा को वीएस-950औरऔर भी

रमेश दामाणी बड़े ब्रोकर हैं। बाजार के उस्ताद हैं, खिलाड़ी हैं। 13 अप्रैल को एक चैट में उनसे पूछा गया कि सागर सीमेंट क्या 1-2 साल के लिए मल्टीबैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला) स्टॉक हो सकता है तो उन्होंने यह कहते इसमें खरीद की सलाह थी कि यह बहुत अच्छी तरह चलाई जा रही कंपनी है और इसके पीछे अच्छे उद्यमी हैं। उस दिन इसका बंद भाव बीएसई में 187.65 रुपए था। उसके बाद 26 अप्रैल कोऔरऔर भी