ऑनमोबाइल का ग्लोबल फलक

ऑनमोबाइल ग्लोबल लिमिटेड (ओजीएल) का शेयर 30 सितंबर से 8 अक्टूबर के बीच 16.28 फीसदी ऊपर चढ़ने के बाद 8.5 फीसदी नीचे उतर चुका है। 30 सितंबर को बीएसई में इसका बंद भाव 344 रुपए था। 6 अक्टूबर को ऊपर में 400 रुपए तक चला गया। शुक्रवार, 8 अक्टूबर को 366 रुपए तक गिरने के बाद 371.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसी साल 4 जनवरी को इसने 52 हफ्ते का शिखर 543.30 रुपए और 7 जून को 256.60 रुपए की तलहटी छुई है। इसे कहते हैं कि वोलैटिलिटी या किसी शेयर की चंचलता। बी ग्रुप के शेयरों में ऐसा उतार-चढ़ाव आम है। लेकिन ऑनमोबाइल ग्लोबल कोई छोटी-मोटी कंपनी नहीं है। उसका मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2180 करोड़ रुपए है।

हालांकि ऐसे चंचल शेयरों में जोखिम उठाने का माद्दा रखनेवाले निवेशकों को ही हाथ आजमाना चाहिए। लेकिन एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की मानें तो ऑनमोबाइल ग्लोबल (बीएसई कोड – 532944, एनएसई कोड – ONMOBILE) में निवेश सुरक्षित है। उसकी ताजा रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि यह शेयर अगले बारह महीनों में 410 रुपए तक जा सकता है। यानी, अभी के स्तर से उसमें 10 फीसदी से ज्यादा बढ़त की संभावना है। इसकी वजह है कि कंपनी के कारोबार में वृद्धि की पूरी संभावना है। उसने इसके पूरे कारण भी गिनाए हैं।

ऑनमोबाइल ग्लोबल (ओजीएल) ने हफ्ते भर पहले ही सिलिकॉन वैली की कंपनी डिलिथियम नेटवर्क्स का अधिग्रहण किया है। इसके जरिए वह अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो, खासकर 3जी/वीडियो कंटेंट स्पेस को बढ़ाएगी। इससे 3जी में सीमित उपस्थिति की उसकी चिंताएं दूर हो जाएंगी। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के मुताबिक इस अधिग्रहण से दूरगामी स्तर पर कंपनी के भावी विकास का रास्ता खुल गया है। हालांकि फिलहाल इससे कंपनी के सकल लाभ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। उसके शुद्ध लाभ में 8-10 फीसदी कमी आ सकती है। लेकिन साल भर बाद वित्त वर्ष 2011-12 में उसका ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 20.5 रुपए रहेगा। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में यह 9.10 रुपए रहा है। चालू वित्त वर्ष में इसके 13.1 रुपए हो जाने का अनुमान है।

कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस 9.55 रुपए और उसका शेयर 38.89 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसके शेयर की बुक वैल्यू 126.20 रुपए है। साफ दिखता है कि वर्तमान स्थिति के हिसाब से यह शेयर काफी महंगा है। लेकिन शेयर बाजार में निवेश वर्तमान नहीं, भविष्य की संभावनाओं के आधार पर किया जाता है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के मुताबिक डिलिथियम के अधिग्रहण पर ओजीएल का खर्च तीन से पांच करोड़ डॉलर आएगा। इसके लिए वेंचर कैपिटल की तरफ से 9 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया जा रहा है। डिलिथियम टेक्लोनॉजी से जुड़ी कंपनी है और उसके पास करीब 200 पेटेंट हैं। इसका सीधा लाभ अब ओजीएल को मिलेगा।

अभी देश में स्मार्ट फोन और 3जी सेवाओं के बढ़ने से मोबाइल इंटरनेट व वीडियो सेवाओं में तेज वृद्धि की उम्मीद है। साल 2015 तक विश्व स्तर पर मोबाइल वीडियो सेवाओं का कारोबार 25 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है और तब तक 39 फीसदी की सालाना वृद्धि के साथ मोबाइल वीडियो यूजर्स की संख्या बढ़कर 53.4 करोड़ हो सकती है। ओजीएल नए अधिग्रहण के बाद इस अवसर का अच्छा इस्तेमाल करने की स्थिति में आ गई है। डिलिथियम मोबाइल वीडियो की अग्रणी कंपनी है। उसने 3जी वीडियो टेलिफोनी में वैश्विक मानक बनाए हैं। उसका अधिग्रहण लंबी अवधि में ऑनमोबाइल के लिए बड़े काम का है। हालांकि अभी इससे कंपनी के ऊपर 20-25 कर्मचारियों के चलते 10 करोड़ रुपए का खर्च बढ़ जाएगा। दूसरे उसकी अन्य आय में 14 करोड़ रुपए की कमी आ जाएगी। लेकिन आगे का विकास इस खर्च के असर को खत्म कर देगा। इसके चलते कंपनी का शेयर नई मंजिल की ओर कूच कर सकता है।

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