कभी हिंदुस्तान यूनिलीवर की किरकिरी बन चुके कर्सनभाई पटेल ने अपनी कंपनी निरमा लिमिटेड (बीएसई कोड – 500308, एनएसई कोड – NIRMA) को शेयर बाजार से डीलिस्ट कराने का फैसला कर लिया है। कंपनी की तरफ से आधिकारिक सूचना मिलते ही यह शेयर कल 52 हफ्ते के शिखर 264.85 रुपए पर जा पहुंचा। हालांकि बंद हुआ 7.15 फीसदी की बढ़त के साथ 240.50 रुपए पर। तेजी के पीछे भागनेवाले निवेशक हो सकता है इसे लपकने की कोशिश करें। लेकिन ऐसा करना सरासर गलत होगा। बल्कि जो इसके मौजूदा शेयरधारक हैं, उन्हें भी इससे छिटक लेना चाहिए। कारण, प्रवर्तक इन शेयरों को 235 रुपए के भाव पर खरीद रहे हैं जो प्रस्ताव रखने से पहले के 26 हफ्तों में एनएसई में शेयर के उच्चतम व न्यूनतम मूल्य का औसत है।
कंपनी ने पूरा तर्क दिया है कि ऐसा करना क्यों जरूरी हो गया है। जैसे, यह कि कंपनी का कारोबार बहुत जटिल हो गया है। उसकी स्थाई आस्तियों और टर्नओवर का अनुपात 1993 में 7.76 था, अब 2010 में घटकर मात्र 1.82 रह गया है। कंपनी का कहना है कि यह कदम शेयरधारकों के हित में उठाया गया है और उन्हें निकलने का पूरा मौका दिया जा रहा है। जाहिर-सी बात है कि निरमा के प्रवर्तक अब कंपनी की समृद्धि में बाहरी निवेशकों को हिस्सा बंटाने से वंचित कर देना चाहिए। कंपनी की 79.57 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी या इक्विटी में उनकी हिस्सेदारी 77.17 फीसदी है तो वे जैसा चाहें, कर ही सकते हैं। शेयरधारकों की आमसभा भी उनके प्रस्ताव को निरस्त नहीं कर सकती तो तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत या वोटिंग अधिकार तो प्रवर्तकों के पास ही हैं।
वैसे कंपनी का धंधा भी इधर चौचक नहीं चल रहा है। उनका शुद्ध लाभ मार्जिन सितंबर 2009 की तिमाही में 10.57 फीसदी था। दिसंबर 2009 की तिमाही में यह 9.06 फीसदी हुआ। उसके बाद मार्च 2010 की तिमाही में घटकर केवल 3.36 फीसदी रह गया। जून 2010 की तिमाही में यह 5.75 फीसदी रहा है। हिंदुस्तान यूनिलीवर और प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी बड़ी कंपनियों से लेकर घड़ी डिटरजेंट जैसी छोटी कंपनियों ने उसे गहरी चपत लगाई है। वित्त वर्ष 2009-10 में निरमा का शुद्ध लाभ 238 करोड़ रुपए रहा है तो घड़ी का शुद्ध लाभ भी 200 करोड़ रुपए से ज्यादा रहा है वह भी तब, जब घड़ी ने अपना वितरण नेटवर्क बहुत ज्यादा नहीं फैलाया है।
निरमा के प्रवर्तक बाजार से कंपनी के करीब 3.63 करोड़ शेयर खरीदेंगे। लेकिन ब्रोकरेज फर्म फर्स्ट कॉल इंडिया इक्विटी के रिसर्च प्रमुख वीवीएलएन शास्त्री की मानें तो 235 रुपए के प्रस्तावित मूल्य पर उसे शेयर बेचनेवाले नहीं मिलेंगे। इसका भाव बाजार में अभी बहुत दबा हुआ है। उसके पास भारी कैश रिजर्व है। शेयर को सही वैल्यूएशन नहीं मिल रहा है। बता दें कि कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू अभी 176.11 रुपए है और उसका शेयर 17.31 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
निरमा का पब्लिक इश्यू 1994 में आया था।. तब उसकी नेटवर्थ 43 करोड़ रुपए थी। आज की तारीख में उसकी नेटवर्थ 2825 करोड़ रुपए हो चुकी है। जाहिर है कंपनी ने इस दौरान जबरदस्त वृद्धि हासिल की है। लेकिन भारी सिंर और कमजोर पांव उसकी मुसीबत बन रहा है। ऐसे में उसके 54,000 से ज्यादा शेयरधारकों को कंपनी को अलविदा बोल ही देना चाहिए।