केंद्र सरकार जुटी गरीबों को पटाने में, 3081 करोड़ की योजनाएं हुईं मंजूर

भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से बचाव की मुद्रा में आई यूपीए सरकार अब देश के गरीबों को पटाने में लग गई है। गुरुवार को कैबिनेट ने गरीब बुजुर्गों और बीड़ी मजदूरों पर करीब 3081 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने का फैसला किया है। इसमें गरीब बुजुर्गों पर 2770 करोड़ और बीड़ी मजदूरों पर 311 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

हालांकि इन दोनों लोकलुभावन कदमों का प्रस्ताव वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस साल के बजट भाषण में किया था। लेकिन इन पर अमल का वक्त सरकार द्वारा गरीब अवाम के बीच अपनी छवि सुधारने का प्रयास नजर आता है। जनता के बीच किसी प्रतिकूल प्रतिक्रिया से बचने के लिए डीजल, रसोई गैस व मिट्टी तेल के दाम बढ़ने पर गुरुवार को होनेवाली मंत्रियों के समूह की बैठक भी टाल दी गई।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों बुजुर्गो को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत पेंशन का लाभ देने की आयु 65 से घटा कर 60 वर्ष कर दी जाएगी। साथ ही कैबिनेट ने 80 वर्ष से अधिक आयु वाले बीपीएल लोगों की पेंशन राशि 200 रूपए से बढ़ा कर 500 रूपए प्रतिमाह करने को भी मंजूरी दे दी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि पुनरीक्षित मानक इस साल 1 अप्रैल 2011 से लागू माने जाएंगे। संशोधित योजना से लाभान्वितों का दायरा बढ़ने से सरकार पर 2770 करोड़ रूपए का अतिरिक्त खर्च आएगा।

पेंशन का लाभ पाने वालों की आयु कम करने से गरीबी रेखा के नीचे रह रहे 60 से 64 साल तक के 72.32 लाख अतिरिक्त बुजुर्गों को इसका फायदा मिलेगा। एक अनुमान के अनुसार गरीबी रेखा के नीचे आने वाले 26.49 लाख बुजुर्ग 80 साल से अधिक आयु के हैं। ऐसे बुजुर्गों को अब 200 की बजाय प्रति माह 500 रूपए की पेंशन मिलेगी।

आंकड़े बताते हैं कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे 169 लाख व्यक्ति 65 साल से अधिक के हैं जिन्हें पेंशन का लाभ मिल रहा है। 60 से 64 साल तक लोगों को वृद्ध आयु पेंशन योजना के तहत प्रतिमाह 200 रूपए पेंशन देने से सरकार पर 1736 करोड़ रूपयों का अतिरिक्त बोझ आएगा और 80 साल से अधिक आयु वालों को प्रतिमाह 500 रूपए पेंशन देने से सरकारी खजाने से 953 करोड़ रूपए अतिरिक्त खर्च होंगे। इन दोनों को मिलाकर कुल अतिरिक्त खर्च 2689 करोड़ रुपए बनता है। इसमें 3 फीसदी प्रशासनिक खर्च जोड़ देने पर कुल रकम 2770 करोड़ निकलती है।

कैबिनेट ने इसके अलावा देश के बीड़ी मजदूरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने का फैसला किया है। इससे केंद्र सरकार पर इस साल करीब 311.25 करोड़ रुपए का खर्च बढ़ जाएगा। अभी तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ केवल गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) रहनेवालों को मिलता है और बीड़ी मजदूर बीपीएल में नहीं आते। देश में कुल बीड़ी मजदूरों की अनुमानित संख्या लगभग 55 लाख है। इसमें से चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 10 लाख मजदूरों को बीमा योजना का लाभ दिया जाएगा। 2013-14 तक सारे बीड़ी मजदूर इसके तहत ले आए जाएंगे। बीड़ी मजदूरों की बड़ी आबादी आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, असम, त्रिपुरा व पश्चिम बंगाल में रहती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बीड़ी मजदूर व उसके परिवार (कुल पांच सदस्य) को 30,000 सालाना का स्वास्थ्य कवर दिया जाएगा। अगर अस्पताल में इलाज पर इससे ज्यादा खर्च हुआ तो बाकी रकम सीधे वेलफेयर कमिश्नर की तरफ से संबंधित अस्तपाल को री-इम्बर्स कर दी जाएगी। बीमा योजना के प्रीमियम का 75 फीसदी हिस्सा और स्मार्ट कार्ड का खर्चा केंद्र सरकार उठाती है, जबकि 25 फीसदी राज्य सरकारों को भरना पड़ता है। इस योजना में प्रति व्यक्ति सालाना बीमा प्रीमियम 750 रुपए होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *