तन और मन

शरीर की स्वतंत्र चाल है। मन भी स्वतंत्र और उच्छृंखल है। लेकिन दोनों एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं। दोनों अभिन्न हैं। एक की चाल दूसरे को प्रभावित करती है। इसलिए अगर एक को ठीक रखना है तो दूसरे का भी उतना ही ख्याल रखना जरूरी है।

1 Comment

  1. Mann ko thik se sadh lo to sabhi prakar ki chalei thik ho jaigi !!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *