ब्याज बढ़ने से धन की लागत बढ़ जाती है। शेयर बाज़ार पर इसका सीधा असर यह पड़ता है कि जो विदेशी निवेशक अपने देशों से सस्ता धन लेकर भारत जैसे बाज़ार में लगाते थे, उनके लिए यह महंगा सौदा बन गया है। ऊपर से डॉलर के मुकाबले छीझता जा रहा रुपया कोढ़ में खाज बन गया है। वे भारतीय बाज़ार से रुपए में ज्यादा भी कमा लें तो उनकी कमाई डॉलर में कम हो जाती है। नतीजतन, उन्हें भारत में लगे धन पर कम रिटर्न मिलने लगा है। ऐसे में आखिर विदेश से धन निकालकर भारत में लगाने का जोखिम क्यों उठाया जाए? उनके अपने देश में ही ब्याज दरें इतनी हो चुकी हैं कि वे बिना किसी जोखिम के सालाना 3-4% सुरक्षित रिटर्न कमा सकते हैं। मुद्रास्फीति को थामने की भी गंभीर कोशिश हो रही है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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