एक तो डॉलर के सापेक्ष रुपए के गिर जाने से निर्यातक पहले से ही गदगद थे। ऊपर से सरकार ने उन्हें ठीक दिवाली से पहले 1700 करोड़ रुपए का तोहफा दे दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने 900 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। इसके एक दिन पहले ही रिजर्व बैंक ने चुनिंदा निर्यातकों में कर्ज पर ब्याज दर में दो फीसदी रियायत देने की घोषणा की है। इन दोनों को मिलाकर निर्यात क्षेत्र को मिला प्रोत्साहन 1700 करोड़ रुपए का हो जाता है।
गुरुवार को घोषित 900 करोड़ रुपए के पैकेज का खास लाभ इंजीनियरिंग, फार्मास्युटिकल व केमिकल निर्यातकों को मिलेगा। इन क्षेत्रों के 50 उत्पादों को चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर से मार्च तक निर्यात मूल्य का एक फीसदी ऊपर से विशेष बोनस के रूप में दिया जाएगा। साथ ही लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और पूर्व सोवियत संघ के देशों को निर्यात करनेवालों को प्रोत्साहन मिलेगा। इन्हें तीन फीसदी का ड्यूटी क्रेडिट पहले ही दिया जा चुका है। अब इसके ऊपर से एक फीसदी का ड्यूटी क्रेडिट अलग से मिलेगा।
सरकार का कहना है कि निर्यातकों को यह प्रोत्साहन देने का मकसद उन्हें वैश्विक बाजारों में छा रही मंदी का मुकाबला करने में सक्षम बनाना है। रिजर्व बैंक ने कल, बुधवार को ही हस्तशिल्प, हथकरघा, कालीन और लघु व मझोले स्तर के निर्यातकों को रुपया ऋण पर 2 फीसदी ब्याज सब्सिडी देने का ऐलान किया था।
नए उपायों को 2009-14 की विदेश व्यापार नीति के सालाना सप्लीमेंट में शामिल कर लिया गया है। खुद वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने मीडिया को इन उपायों की जानकारी दी। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने अलग से बताया कि, “नया निर्यात पैकेज 800-900 करोड़ रुपए का है। ब्याज में दी गई रियायत 800-1000 करोड़ रुपए की है। इस तरह कुल प्रोत्साहन 1700 करोड़ रुपए का हो जाता है।”
निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष रामू एस देवड़ा का कहना है, “यह दिवाली का तोहफा है। हम इतनी ज्यादा उम्मीद नहीं कर रहे थे।” हालांकि कल 2 फीसदी ब्याज सब्सिडी को हस्तशिल्प, हथकरघा, कालीन उद्योग तक सीमित रखने का फैसला निर्यातकों को रास नहीं आया था। उनका कहना था कि रियायती कर्ज का लाभ सभी तरह के निर्यात पर मिलना चाहिए। फियो अध्यक्ष देवड़ा ने भी कहा था कि अगर सरकार यह लाभ सभी निर्यात उद्योगों को नहीं देती तो साल की बाकी बची दो तिमाहियों के दौरान निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।