अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनी एबॉट ने भारत की दवा कंपनी पिरामल हेल्थकेयर को 372 करोड़ डॉलर (17,465 करोड़ रुपए) में खरीदने का ऐलान कर दिया है। इस अधिग्रहण से एबॉट भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी बन गई है। अधिग्रहण करार के तहत एबॉट पिरामल हेल्थकेयर को 212 करोड़ डॉलर एकमुश्त देगी और बाकी 160 करोड़ डॉलर 40-40 करोड़ डॉलर की चार सालाना किश्तों में दिए जाएंगे। एबॉट का कहना है कि इस सौदे से उसे 55,000 करोड़ रुपए के भारतीय दवा बाजार में करीब 7 फीसदी हिस्सेदारी मिल जाएगी।
इस करार के बाद भी पिरामल हेल्थकेयर के प्रवर्तक अपना आर एंड डी (शोध व अनुसंधान), विदेशी दवा कारोबार और दवाओं का कच्चा माल बनाने का बिजनेस अपने पास ही रखेंगे। खासकर पिरामल लाइफ साइंसेज उन्हीं के पास रहेगी। यह कंपनी फिलहाल 14 नए दवा मालिक्यूल विकसित कर रही है जिसमें से कुछ विकास के अंतिम चरण में हैं।
पिरामल समूह के चेयरमैन अजय पिरामल ने इस मौके पर कहा कि अब एबॉट भारत में 7 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बाजार की अगुआ कंपनी बन जाएगी। सौदे की घोषणा के फौरन बाद एबॉट इंडिया का शेयर 15 फीसदी बढ़कर 1210 रुपए पर पहुंच गया, वहीं पिरामल हेल्थकेयर का शेयर भी 5 फीसदी से ज्यादा उछलकर 52 हफ्ते के उच्च स्तर 599.90 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन बाद में पता लगा कि यह सौदा केवल पिरामल के घरेलू दवा कारोबार के लिए है। फिर पिरामल हेल्थकेयर का शेयर 11.81 फीसदी गिरकर 502.35 रुपए पर बंद हुआ।
पिरामल अपना जो बिजनेस एबॉट को बेच रही है, उसमें ब्रांडेड चिकित्सकीय उत्पादों का निर्माण, विपणन व बिक्री शामिल है। इस करार के बाद पिरामल के पास सभी 5000 कर्मचारी एबॉट में ले लिए जाएंगे। साथ ही पिरामिल और इसका सहयोगी इकाइयां जेनरिक दवाओं का व्यापार भारत में नहीं करेंगी। असल मैं फार्मुलेशन ही पिरामल का मुख्य कारोबार था। यह सौदा जुलाई से दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि 15 महीने पहले वॉल स्ट्रीट जनरल ने इस खबर को प्रकाशित किया था। तभी से यह कयास लग रहा था कि पिरामल अपना दवा कारोबार बेच देगी। पिरामल ने इस बीच हाल में सिप्ला के प्रमुख ब्रांड आई-पिल का अधिग्रहण किया था।
इस करार पर पिरामल समूह की निदेशक स्वाति पिरामल का कहना है कि यह हमारे शेयरधारकों के लिए बहुत ही अच्छा सौदा हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समूह ने केवल एक प्लांट बेचा है और 11 प्लांट अपने पास रखे हैं। उनका कहना है कि यह शायद पहली बार हुआ होगा जब किसी अंतरराष्ट्रीय सौदे में इवेस्टमेंट बैंकर या बिचौलिये की भूमिका नहीं थी। वह भी इतनी बड़ी डील दोनों कंपनियों ने एक साथ बिना किसी बिचौलिये के पूरी कर ली।