भारत के सबसे सस्ते टैबलेट का डंका, लेकिन 16% पुर्जे ही बने हैं भारत में

छह साल पहले छात्रों को सस्ता टैबलेट कंप्यूटर मुहैया कराने की सरकारी सोच आखिरकार बुधवार को तब साकार हो गई, जब ‘आकाश’ को औपचारिक रूप से लांच कर दिया गया। इसकी कीमत यूं तो 2276 रुपए है। लेकिन सरकार इस पर आधी सब्सिडी देगी तो छात्रों को यह करीब 1100 रुपए का पड़ेगा। इसमें भी शुरू में एक लाख टैबलेट प्रायोगिक स्तर पर छात्रों को मुफ्त में दिए जाएंगे।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्ब्ल ने राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब 1500 छात्रों, शिक्षाविदों व उद्योग प्रतिनिधियों के बीच इस टैबलेट का लाइव डेमॉन्स्ट्रेशन किया। उन्होंने कहा कि अभी तक डिजिटल दुनिया तक केवल अमीर लोगों की पहुंच थी और गरीब व आम लोग इससे बाहर थे। आकाश इस डिजिटल विभाजन को खत्म कर देगा।

वैसे तो यह टैबलेट मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एन के सिन्हा के नेतृत्व में भारत में तैयार किया गया है। लेकिन इसके करीब 800 कलपुर्जे अलग-अलग देशों से लिए गए हैं। टैबलेट के 29 फीसदी कलपुर्जे दक्षिण कोरिया से, 24 फीसदी चीन से, 16 फीसदी अमेरिका से और 15 फीसदी अन्य देशों से प्राप्त किए गए हैं। इसके 16 फीसदी कलपुर्जे ही भारतीय हैं।

इस टैबलेट को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूचना व संचार तकनीक के माध्यम से शिक्षा देने के राष्ट्रीय मिशन (एनएमई-आईसीटी) के तहत ब्रिटिश कंपनी डाटाविंड ने आईआईटी राजस्थान के सहयोग से डिजाइन व विकसित किया है। सरकार फिलहाल एक लाख टैबलेट 2250 रुपए प्रति यूनिट की कीमत (सभी टैक्स व शुल्क मिलाकर) पर खरीद रही है।

समारोह में केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा, “सस्ते टैबलेट का सपना साकार होने की घटना भारत के इतिहास में मील का पत्थर है। हम चाहते हैं कि यह केवल भारत के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया में अन्य देशों के छात्रों के लिए भी सुगम हो।” इसे बनाकर सप्लाई करनेवाली ब्रिटिश कंपनी डाटाविंड के सीईओ सुनीत कुमार तुली ने कहा कि अभी उनकी कंपनी को एक लाख टैबलेट तैयार करने का अनुबंध मिला है जिसकी कीमत 2276 रुपए निर्धारित की गई है. लेकिन 10 लाख टैबलेट तैयार करना हो तो इसकी कीमत घटकर प्रति टैबलेट 1750 रुपए हो जाएगी।

इस टैबलेट में हार्ड डिस्क तो नहीं है लेकिन इसे 32 जीबी के बाहरी हार्ड ड्राइव से जोड़ा जा सकता है। इस उपकरण में ब्रॉडबैंड इंटरनेट, वीडियो कांफ्रेंसिग, मीडिया प्लेयर भी उपलब्ध है। इसमें गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (एमआईटी) के 100 डॉलर की लैपटाप परियोजना की तर्ज पर मानव संसाधन मंत्रालय ने 2005 में इस योजना की परिकल्पना की थी। सात इंच के इस टच स्क्रीन टैबलेट में दो यूएसबी पोर्ट हैं और इसकी बैटरी में तीन घंटे काम करने की क्षमता है। यह सौर ऊर्जा के उपयोग से भी चल सकता है।

इस उपकरण में वर्ड, एक्सेल, पावर प्वॉइंट, पीडीएफ, ओपेन ऑफिस, वेब ब्राउजर और जावा स्क्रिप्ट भी संलग्न है। इसमें जिप-अनजिप तथा वीडियो स्ट्रीमिंग सुविधा है। इंटरनेट सुविधा से लैस इस उपकरण में मीडिया प्लेयर, वीडियो कांफ्रेंसिंग और मल्टी मीडिया कंटेन्ट सुविधा उपलब्ध है। यह कठिन परिस्थितियों में भी काम कर सकता है।

छात्रों को सस्ते टैबलेट मुहैया कराने की कवायद काफी कठिन रही। पिछले साल निविदा के अनुरूप जिस कंपनी को एक लाख लैपटॉप तैयार करने का ऑर्डर दिया गया था, उसे एक बड़ी कंपनी ने खरीद लिया था। इसके बाद ऑर्डर को रद्द कर दिया गया और फिर से निविदा जारी की गई।

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