जिस तरह रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश के सबसे बैंक एसबीआई को डाउनग्रेड किया है, उससे उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग गया है। मूडीज ने कहा है कि एसबीआई का एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) या डूबत ऋण 12 फीसदी हो सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक के नियमों के तरह भारत में किसी बैंक का एनपीए कभी भी इतना हो नहीं सकता। इस समय जून 2011 की तिमाही के नतीजों के मुताबिक एसबीआई का एनपीए कुल ऋणों का 3.52 फीसदी है।
मूडीज के डाउनग्रेड से उपजे भ्रमों को दूर करने के लिए एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने बुधवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बैंक को पूंजी की कोई दिक्कत नहीं आएगी। बैंक ने केंद्र सरकार को बताया है कि अगले पांच सालों में उसे 14,000 करोड़ से 21,000 करोड़ रुपए की पूंजी की दरकार होगी। सरकार ने उसे भरोसा दिलाया है कि चालू वित्त वर्ष में उसे सरकार से 3000 से 10,000 करोड़ रुपए मिल जाएंगे। इसलिए कोई परेशानी की बात नहीं है।
बता दें कि एसबीआई में केंद्र सरकार की इक्विटी भागीदारी 59.40 फीसदी है। पिछले ही महीने बैंक ने विदेश से मीडियम टर्न नोट (एमटीएन) से ऋण जुटाने की सीमा दोगुनी कर 5 अरब डॉलर से 10 अरब कर दी है। श्री चौधरी ने बताया कि मूडीज के डाउनग्रेड से विदेशी ऋण की लागत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। अभी उसे लिबोर (लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट) से 2.20 से 2.25 फीसदी ज्यादा ब्याज पर ऋण मिलता है। अब यह बहुत हुआ तो लिबोर से 2.21 से 2.27 फीसदी ज्यादा हो सकता है।
लेकिन मूडीज के डाउनग्रेड ने एसबीआई के शेयरों की जरूर मिट्टी पलीद कर दी है। कल और आज को मिलाकर दो दिनों में इसमें 7.91 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। आज बुधवार को इसने 1708.55 रुपए पर 52 हफ्ते का नया न्यूनतम स्तर बना लिया।