मस्तक बड़ा, लेकिन मास्टेक घाटे में!

मास्टेक लिमिटेड के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और सीईओ भी सुधाकर राम हैं। मैं तो उनके विचारों का मुरीद हूं। आप भी पढेंगे तो कायल हो जाएंगे। करीब डेढ़ साल पहले शिक्षा पर मैंने उनका लेख पढ़ा था जिसमें उन्होंने एक अनुसंधान का जिक्र करते हुए लिखा था कि चार साल की उम्र तक लगभग हर बच्चा जीनियस होता है। फिर मैंने मास्टेक फाउंडेशन की तरफ से चलाई जानेवाली वेबसाइट पर उनके कई लेख पढ़े और इस शख्स की सोच का कायल होता गया। थोड़ा और पता किया तो मालूम हुआ कि वे आईआईएम कोलकाता के सिल्वर मेडलिस्ट हैं।

मुझे लगा कि अगर ऐसा शख्स ज्ञान व प्रतिभा से जुड़ी किसी कंपनी का नेतृत्व कर रहा होगा तो वह अच्छा ही करेगी। मास्टेक के बारे में देखा तो इसकी स्थापना अशांक देसाई ने की है जिन्हें इसे भारत की टॉप 20 सॉफ्टवेयर कंपनियों में शुमार करवाने का श्रेय जाता है। देसाई ने एमटेक आईआईटी मुंबई और एमबीए आईआईएम अहमदाबाद से किया था। वे मास्टेक के सस्थापक चेयरमैन थे। इस समय भी कंपनी के निदेशक बोर्ड के सदस्य है। बोर्ड के बाकी छह सदस्य भी एक से एक दिग्गज हैं।

इतनी दिग्गज प्रतिभाओं के होते हुए 1982 में बनी इस आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी को तो अब तक इनफोसिस बन जाना चाहिए था। हालांकि कंपनी ने बहुत कुछ पहली बार जरूर किया है। लेकिन धंधे को व्यापक नहीं बना सकी है। कहां इनफोसिस में कंपनियों की संख्या लाख के ऊपर है और कहां मास्टेक में कुल 3200 कर्मचारी हैं। वैसे, मास्टेक भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, यूरोप, एशिया-प्रशांत व मध्य-पूर्व के देशों तक विस्तृत हो चुकी है।

सुधाकर राम ने 2007 में मास्टेक की बागडोर संभाली। उस साल कंपनी को कई पुरस्कार मिले। उसकी अमेरिकी इकाई मैजेस्कोमास्टेक ने वेक्टर टेक्नोलॉजीज नाम की कंपनी का अधिग्रहण भी किया। 2007-08 तक कंपनी की कमाई बढ़ने की रफ्तार ठीकठाक रही। लेकिन 2008-09 से उसमें गिरावट का सिलसिला जारी है। उसका वित्त वर्ष जुलाई से जून तक का है। 2008-09 में कंपनी ने स्टैंड-अलोन रूप से 597.77 करोड़ रुपए की आय पर 95.65 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। जून 2010 में खत्म वित्त वर्ष 2009-10 में उसकी आय 26.24 फीसदी घटकर 440.89 करोड़ और शुद्ध लाभ 61.33 फीसदी घटकर 36.99 करोड़ रुपए रह गया।

इस साल की पहली तीन तिमाहियों में हालत बिगड़ती गई है। 15 अप्रैल 2011 को घोषित नतीजों के अनुसार मार्च 2011 की तिमाही में उसे 103.04 करोड़ रुपए की कुल आय पर 3.87 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। सितंबर 2010 की पहली तिमाही में उसे 89.76 की आय पर 14.77 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। हालांकि दिसंबर 2010 की दूसरी तिमाही में 123.98 करोड़ रुपए की आय पर उसने 22.53 करोड़ का शुद्ध लाभ दिखाया है।

मार्च 2011 में खत्म नौ महीनों की बात करें तो कंपनी ने अकेले दम पर 316.78 करोड़ रुपए की आय पर 3.89 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले इसी अवधि में उसने 337.16 करोड़ की आय पर 38.29 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया था। समेकित या कंसोलिडेट नतीजों की बात करें तो चालू वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी को सितंबर तिमाही में 13.46 करोड़, दिसंबर तिमाही में 27.66 करोड़ और मार्च तिमाही में 7.12 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) ऋणात्मक है, (-) 9.72 रुपए। हालांकि स्टैंड-एलोन रूप से इसका ईपीएस धनात्कम है, (+) 96 पैसे।

परसों 25 मई को शेयर बाजार बंद होने के बाद एक अच्छी खबर आई कि मास्टेक को ब्रिटेन में वित्तीय सेवा उद्योग की प्रमुख नियामक संस्था, एफएसए से चार साल का अनुबंध मिला है और वह एफएसए की एप्लीकेशन डेवलपमेंट पार्टनर बन गई है। इसके बाद कंपनी का 5 रुपए अंकित मूल्य का शेयर (बीएसई – 523704, एनएसई – MASTEK) कल 26 मई को  ऊपर में 103.65 रुपए तक जाने के बाद 101.10 रुपए पर बंद हुआ है। इस शेयर का 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 311.50 (16 जुलाई 2010) और न्यूनतम स्तर 88.70 (10 मई 2011) का है। यानी, इसी महीने 16 दिन पहले राख बनने के बाद यह शेयर उठा है।

अगर बुक वैल्यू को देखें तो इसमें इस स्थिति में भी निवेश किया जा सकता है क्योंकि उसकी बुक वैल्यू 203.33 रुपए है यानी शेयर के बाजार भाव से लगभग दोगुनी। लेकिन बुक वैल्यू तो उसके पुराने रिजर्व और इक्विटी को जोड़कर शेयरों की संख्या से भाग देकर निकाली जाती है। कंपनी के पास 2009-10 में 534.31 करोड़ के रिजर्व थे और इक्विटी 13.48 करोड़ रुपए है जो 5 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है तो शेयर की कुल संख्या हो गई 2.695 करोड़। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं कि कंपनी के मौजूदा रिजर्व की स्थिति क्या है क्योंकि इसे सालाना स्तर पर घोषित किया जाता है।

ऐसे में क्या मास्टेक में निवेश किया जा सकता है? ब्रोकिंग फर्म एलेसवाइस ने इसे फंडामेंटल आधार पर 10 में से 10 अंक दे रखे हैं। वैसे तो घाटे में होने के कारण इस शेयर का पी/ई निकल ही नहीं सकता। लेकिन स्टैंड-अलोन ईपीएस 96 पैसे को आधार बनाएं तो यह 105.16 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इससे पहले यह अधिकतम 23.55 तक के पी/ई पर ट्रेड हुआ था।

मुझे नहीं लगता कि पूंजी बाजार में अच्छी सॉफ्टवेयर कंपनियों का इतना अकाल है कि हम मास्टेक की निहित संभावनाओं के पीछे भागें। जो प्रतिभाएं करीब 30 सालों में मास्टेक का मस्तक नहीं चमका सकी हैं, वे आगे क्या कर पाएंगी, इसको लेकर संदेह है। वैसे भी बाजार घाटे में डूब रही इस कंपनी को बहुत ही ज्यादा सिर चढ़ाए हुए है। हां, सुधाकर राम के ‘सुधारक’ लेखों को पढ़ते रहने में कोई हर्ज नहीं है। उनसे एक नई अंतर्दृष्टि मिलती है जो संक्रमण से गुजरते हमारे लिए बहुत जरूरी है।

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