चार दिन देखें बस बाजार की धार

बाजार के बारे में इसके अलावा खास कुछ देखने-समझने को नहीं है कि इस समय हर किसी पर डर का घटाटोप छाया हुआ है। लोगबाग सेंसेक्स के 14,000 तक गिर जाने की बात कहने लगे हैं। एक अतिरेकवादी ने तो मुझे ई-मेल भेजा है कि सेंसेक्स 7500 तक चला जाएगा और मेरे पास बस मुस्कराने के अलावा इस पर कुछ कहने को नहीं था।

रोलओवर के दौरान ऐसा होता है। अतिवादी सक्रिय हो जाते है। अफवाहें अपने चरम पर पहुंच जाती हैं। हालांकि डेरिवेटिव सौदों के आंकड़े अपने आप में बहुत कुछ कह जाते हैं। वे बता देते है कि इस अफरातफरी और गिरावट के पीछे का असली खेल क्या है। सेंसेक्स आज 425.41 अंक (2.60 फीसदी) गिरकर 16,000 के नीचे और निफ्टी 127.45 अंक (2.60 फीसदी) गिरकर 4800 के नीचे पहुंच गया। लेकिन बाजार का पलटकर उठना तय है। इसे कोई टाल नहीं सकता।

फिलहाल अगले चार दिन हमें हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना चाहिए। केवल इंतज़ार करना और देखना चाहिए कि हो क्या रहा है क्योंकि इस दरम्यान ऑपरेटर दोनों ही तरफ की पोजिशन के आधार पर तमाम शेयरों को अपने हिसाब से लपटेंगे। कई स्टॉक पिछले सेटलमेंट की तुलना में 20 से 30 फीसदी नीचे पहुंचा दिए जाएंगे तो जिनमें शॉर्ट सौदे ज्यादा हो रखे हैं, उन्हें नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया जाएगा। फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में इसी उठापटक से ऑपरेटरों का धंधा-पानी चलता है।

मैंने आज इकनॉमिक टाइम्स में पढ़ा कि कुछ निवेशकों ने अंततः सेबी की कंसेंट ऑर्डर की कानूनी वैधता को अदालत में चुनौती दी है और सेबी ने कंसेंट ऑर्डर की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है। सेबी पहले ही कह चुकी है कि वो आईपीओ की लिस्टिंग के पहले दिन सर्किट सीमा लगाएगी। इसका मतलब कि सुधार के उपाय अब धीरे-धीरे किए जाने लगे हैं। यह पूंजी बाजार की दीर्घकालिक सेहत के लिए अच्छा है।

एनएसई को जल्दी से जल्दी ही स्टॉक डेरिवेटिव्स में फिजिकल सेटलमेंट लागू कर देना चाहिए। साथ ही व्यवस्था करनी चाहिए कि जैसे ही किसी दिन वोल्यूम 10 फीसदी से बढ़ जाए, फौरन उस सौदे की ऑटोमेटिक सूचना एक्सचेंज को मिल जाए ताकि तत्काल उसकी निगरानी शुरू की जा सके। लेकिन खरीदने पर बंदिश लगाए रखने का मतलब होगा कि आप कैश बाजार को बेवजह मार रहे हैं। वैसे भी 10 फीसदी वोल्यूम के बाद सौदे रोक देने से कैश बाजार पहले ही मृतप्राय हो चुका है।

खैर, निफ्टी फिलहाल 4778.35 पर पहुंच चुका है। मेरा सुझाव है कि 4730 पर निफ्टी में लांग पोजिशन पकड़ लें और अगले महीने इसके 5200 तक पहुंचने का इंतजार करें। लोग क्या कहते हैं, इसकी परवाह न करें। परवाह सिर्फ इसकी करें कि आपका दिमाग क्या कहता है। बाजार में मूल्यांकन न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। विदेशी फंडों के बारे जैसा कहा जा रहा है, वो इस बार उस तरह की विनाशकारी बिकवाली नहीं कर रहे हैं। इस बीच रुपए में धमक जारी और वह डॉलर के सापेक्ष 1/52 तक गिर गया। मेरा मानना है कि अब रिजर्व बैंक बाजार में डॉलर डालकर निश्चित रूप से रूपए को संभालने का काम करेगा।

हर इंसान एक मंदिर बनाता है और वो है उसका शरीर।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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