अमेरिका ने अपने रक्षा बजट में अगले दस सालों के दौरान 488 अरब डॉलर की कटौती की घोषणा की है। साथ ही अगले पांच साल में थल सेना में करीब 70,000 और मरीन कोर में 22,000 सैनिक घटाए जाएंगे। इसके अलावा युद्धपोतों को भी रिटायर किया जाएगा। 9 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिका के रुख में आया यह ऐतिहासिक बदलाव है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने वॉशिंगटन में गुरुवार को रक्षा बजट में कटौती की घोषणा करते हुए कहा, “ये बहुत ही मुश्किल काम है। यह एक मुश्किल चुनौती है और किसी को इस मुश्किल को कम नहीं आंकना चाहिए। घाटे के बारे में बात करना आसान है लेकिन इसके बारे में कुछ भी करना बहुत मुश्किल है।” पेनेटा ने अमेरिकी संसद से अपील की कि वह और कटौतियां न थोपे क्योंकि इससे सेना के खोखले हो जाने का ख़तरा है।
उन्होंने बताया कि 2013 के नियमित बजट के लिए रक्षा मंत्रालय 525 अरब डॉलर मांगेगा, जो कांग्रेस द्वारा पास 2012 के बजट के मुकाबले 6 अरब डॉलर कम है। 2013 के बजट में 9 फीसदी कटौती की योजना है। नियमित बजट के अलावा अफगानिस्तान जैसी लड़ाइयों के बजट में 88.4 अरब डॉलर अलग से हैं। पेनेटा ने कहा कि अमेरिकी सेना अब बड़े युद्ध क्षेत्रों – इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान से ध्यान हटाकर एशिया समेत राष्ट्रीय हित के अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी। भविष्य में अमेरिकी सेना का ज्यादा ध्यान पश्चिम एशिया और पूर्वी एशिया पर होगा।
असल में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने नई सामरिक रणनीति में छोटी, लेकिन टेक्नोलॉजी के स्तर पर मजबूत सेना की बात कही है जो चीन के उभार से पैदा होनेवाले खतरों का मुकाबला कर सके। पिछली गर्मियों में ही अमेरिकी कांग्रेस और व्हाइट हाउस अगले दस साल में सेना बजट में 488 अरब डॉलर की कटौती करने पर सहमत हो गए थे।