चीनी पर बनी समिति, कृषि मंत्रालय लूप से बाहर

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त करने के मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति बना दी है। इसकी अध्यक्षता उनकी आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन डॉ. सी रंगराजन को सौंपी गई है। समिति में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु, कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) के चेयरमैन अशोक गुलाटी और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सचिव के पी कृष्णन को मिलाकर कुछ छह सदस्य होंगे।

सरकार ने खाद्य व उपभोक्ता मामलात मंत्रालय को समिति के काम में आवश्यक मदद करने को कहा है। लेकिन अचंभे की बात है कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर कृषि मंत्रालय को लूप से बाहर रखा गया है। हां, कृषि विभाग के सचिव को समिति में बतौर सदस्य जरूर शामिल किया गया है। आपको पता ही होगा कि चीनी और चीनी लॉबी हमारे कृषि मंत्री शरद पवार के दिल के बहुत करीब है। इस पर नियंत्रण हटाना उनके लिए बहुत मायने रखता है।

समि‍ति को अपना काम जल्दी से जल्दी पूरा करने को कहा गया है। वह अपनी सि‍फारि‍शें सीधे प्रधानमंत्री को सौंपेगी। गौरतलब है कि चीनी को नियंत्रण-मुक्त करने का मसला दशकों से लटका चला आ रहा है। सरकार ने इस बार भी समिति के कामों में डिकंट्रोल नहीं, बल्कि डि-रिगुलेशन की बात कही है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। अपने यहां केंद्र और राज्य सरकारें ही तय करती हैं कि चीनी मिलों को गन्ने की कितनी कीमत किसानों को देनी है। इसके अलावा सरकार चीनी मिलों को अपने उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा बतौर लेवी सरकार को देना पड़ता है।

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