वाणिज्य मंत्रालय की पहल के चलते निर्यातकों को अपने धंधे की लागत 45 करोड़ डॉलर कम करने में मदद मिली है। वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावोस में बुधवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में एक पैनल चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के कदमों से निर्यातकों के लिए लेन-देन की कीमत कम हुई है और उन्हेँ लगभग 45 करोड़ डॉलर का फायदा हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत उदारीकरण की नीति की वजह से विदेशी व्यापार निवेश के लिए सबसे आकर्षित बाज़ार बन गया है। विश्व आर्थिक मंच में ‘दक्षिण एशिया के भविष्य‘ पर पैनल चर्चा की अध्यक्षता करते हुए श्री सिधिंया ने कहा कि आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थायित्व एक दूसरे से जुड़े हैं। भारत में उदारीकरण समावेशी विकास के साथ मज़बूती से जुड़ा है और इसने बिजनेस व नियमन के माहौल को अधिक पारदर्शी व कार्यकुशल बनाने में मदद की है।
श्री सिधिंया ने कहा कि गरीबों को समर्थ बनाने और शहरी व ग्रामीण लोगों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने में भारत सरकार ने भारत निर्माण, नरेगा और जेएनयूआरएम जैसे महत्वाकांक्षी कार्याक्रमों की शुरूआत की है। उन्होंने इस मसले पर भी अपनी बात रखी कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र कैसे विकास और रोज़गार पैदा कर सकता है। उन्होंने समान और समावेशी विकास पर आधारित भारत की एक अद्भुत विकास मॉडल की बात कही।