फलेगी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की सवारी

ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (टीसीआई) माल की ढुलाई ही नहीं करती, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स सेवाएं भी मुहैया कराती है। 1958 में शुरुआत कोलकाता में एक ट्रक से की थी। अब दुनिया के 12 देशों तक पहुंच चुकी है। भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग की सबसे बड़ी कंपनी है। दावा है कि वह देश के कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.5 फीसदी अकेले इधर से उधर करती है।

फिलहाल ताजा घोषित नतीजों के अनुसार उसने वित्त वर्ष 2010-11 में 1759.18 करोड़ रुपए की आय पर 51.32 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 1451.50 करोड़ रुपए की आय पर 42.98 करोड़ रुपए का शुद्ध लाम कमाया था। इस तरह जहां कंपनी की आय 21.2 फीसदी बढ़ी है, वहीं शुद्ध लाभ 19.4 फीसदी। लेकिन 1 जून को इन ठीकठाक नतीजों की घोषणा के बाद उसका शेयर (बीएसई – 532349, एनएसई – TCI) लगातार गिर रहा है।

1 जून को इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 95 रुपए पर था। अभी शुक्रवार 17 जून को 89.90 रुपए पर बंद हुआ है। इस दौरान 13 जून को 85.50 रुपए तक जा चुका है जो इसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर है। वही शाश्वत सवाल कि क्या इसमें निवेश करना सुरक्षित और लाभप्रद रहेगा? थोड़े समय की बात नहीं पता क्योंकि बाजार में जिस कदर निराशा छाई है और सेंसेक्स के 15,000 तक जाने की बात फैलाई जा रही है, उसमें बी ग्रुप का यह स्मॉल कैप शेयर कोई मंगल ग्रह पर तो बैठा नहीं है कि इसे आंच नहीं आएगी। लेकिन लंबे समय के लिए यकीकन अभी इसे खरीदना समझदारी का सौदा होगा।

कंपनी का सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 7.07 रुपए है। इस तरह उसका शेयर फिलहाल 12.71 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। सेंसेक्स का पी/ई अनुपात फिलहाल 19 है और खुद यह शेयर सितंबर 2010 में 27.72 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। तब यह 159.70 रुपए पर था। जाहिरा तौर पर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में तीन-चार महीने में बाजार की हालत सुधरते ही अच्छी बढ़त (25-30 फीसदी) बढ़त की उम्मीद करना गलत नहीं होगा। वैसे भी, एक गणना के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी का ईपीएस 9.45 रुपए तक जा सकता है। इसका मतलब हुआ कि अग्रिम ईपीएस को ध्यान में रखते हुए उसका शेयर इस समय 9.51 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की मौजूदा बुक वैल्यू 41.47 रुपए है।

काम-धंधे के मोर्चे की बात करें तो कंपनी अपना फोकस माल ढुलाई के कम मार्जिन वाले धंधे से घटाकर बराबर अधिक मार्जिन वाली डोर-डोर डिलीवरी एक्सपीएस और सप्लाई चेन सेवा पर बढ़ा रही है। यह इस तथ्य से झलकता है कि उसकी कुल आमदनी में माल ढुलाई का योगदान 2006-07 में 57 फीसदी था, जबकि अब 2010-11 में घटकर 46 फीसदी पर आ गया है। जहां माल ढुलाई में अमूमन सकल लाभ मार्जिन 4-5 फीसदी है, वहीं एक्सपीएस और सप्लाई चेन सेवा में 9-12 फीसदी होता है। वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 7.82 फीसदी रहा है जो पिछले पांच सालों से लगातार बढ़ते-बढ़ते यहां पहुंचा है।

साफ है कि कंपनी लाभप्रदता बढ़ाने की राह पर मजबूती से चल रही है। कंपनी अपने लाभ में शेयरधारकों को बराबर साझीदार बनाती रही है। वह बीते वित्त वर्ष 2010-11 के लिए दो रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर कुल 90 पैसे (45 फीसदी) का लाभांश दे रही है। कंपनी के पास अभी 286.33 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। उसकी कुल इक्विटी 14.52 करोड़ रुपए है। इसका 31.29 फीसदी पब्लिक और बाकी 68.71 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। पब्लिक के हिस्से वाले 6.59 फीसदी शेयर एफआईआई और 0.03 फीसदी शेयर डीआईआई के पास हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 21,545 है। उसके बड़े शेयरधारकों में एफआईडी फंड्स मॉरीशस (6.33 फीसदी), आरसी होल्डिंग्स (2.80 फीसदी) और निर्मल एम बंग (1.47 फीसदी) शामिल हैं।

1 Comment

  1. Sir ji, Hum kuch din se JINDAL SOUTH WEST HOLDINGS ko track kar rahe hai aur girawat me isme nivesh karna chahte hai, humne suna hai ki is company ne jitna Share hold kar rakha hai uska uchit mulya bohot jyada hai aur kyoki ye bohot low equity share hai toh isme utar charao bhi bohot hota hai… mai aapse guzarish karta hu ke kripya aap hume is company ke bare jankari de aur filhal ye kis company me kitna share hold karta hai ye bataiye. Aapka subhchintak- Abhijeet Mitra.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *