वैसे तो निवेश भी एक तरह की ट्रेडिंग है। वह लम्बे समय की ट्रेडिंग है, जबकि ट्रेडिंग छोटे समय का निवेश। राकेश झुनझुनवाला ने दोनों को मिलाकर शेयर बाज़ार में कामयाबी हासिल की। लेकिन वॉरेन बफेट ने खुद को हमेशा निवेश तक सीमित रखा। वे अपने गुरु बेन ग्राहम से सीखे सिद्धांतों पर डटे रहे। उनमें काफी कुछ नया भी जोड़ा। उनकी सफलता के पीछे निवेश की प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि स्टॉक्स का चयन भी था। ऐसा नहीं कि उन्होंने लॉर्जकैप स्टॉक्स से परहेज़ किया। लेकिन उन्होंने स्मॉल व माइक्रो-कैप यानी छोटी-छोटी कंपनियों को निवेश में तरजीह दी। उन्होंने उन कंपनियों को चुना जो तमाम एनालिस्टों व मीडिया की नज़रों से दूर थीं। लेकिन क्वालिटी से कभी समझौता नहीं किया। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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