बाजार के गिरकर दुरुस्त होने का सिलसिला पूरा हुआ हो या न हो, सबसे पहले देशी-विदेशी फंडों, एचएनआई और ऑपरेटरों ने आगे बढ़कर मूल्यवान शेयरों की खरीद शुरू कर दी है। यह अलग बात है कि हफ्ते के अंत तक मंदड़ियों की मुराद पूरी गई। निफ्टी आज, शुक्रवार को 4800 से नीचे 4796.10 तक चला गया और बंद हुआ है कल से 1.99 फीसदी की गिरावट के साथ 4845.65 पर। सेंसेक्स भी 328.12 अंकों की तगड़ी चोट खाकर 16,141.67 पर जा पहुंचा है।
मंदड़िए इस तरह बाजार के सीधे गिर जाने पर नोट बनाते हैं। लेकिन चक्र के अंत में उन्हें अधिकतम भी कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि सुधार एकबारगी अंग्रेजी के अक्षर V के आकार में होता है और मंदड़िए अपनी सोच इतनी आसानी से बदल नहीं पाते। किसी भी शेयर को पीटकर अंतर्निहित मूल्य से नीचे ले जाना खरीदारों के लिए निचले स्तर पर खरीद का मौका पेश करता है और तकलीफ का आखिरी घूंट पीते ही बाजार वी-टर्न ले लेता है।
आज के दिन से तेजड़ियों ने रोलओवर का क्रम शुरू कर दिया। वे सितंबर सीरीज में नई पोजिशन बनाने लगे हैं क्योंकि सितंबर में वे 4900 पर भारी पोजिशन लेना चाहते हैं। बंद होने तक वे निफ्टी को 5200 तक वापस ले जाना चाहते हैं ताकि वे 5500 के स्तर की बराबरी कर सके। लेकिन मंदड़ियों का क्या होगा? अगर इस सेटलमेंट में निफ्टी किसी तरह 5200 के पार चला गया तो पूरा परिदृश्य उलट जाएगा और औसत बिक्री मूल्य 5100 या 5000 रहेगा क्योंकि मंदड़िए निचले स्तरों पर ज्यादा से ज्यादा बेचने की कोशिश करेंगे और इस तरह खुद अपनी कब्रगाह बना डालेंगे।
तेजड़ियों के लिए कच्चा तेल तसल्ली का मजबूत जरिया बनकर आया है। लगता यही है कि कच्चे तेल के दाम गिरते-गिरते 70 डॉलर प्रति बैरल पर जाकर टिकेंगे। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रास्फीति के लिहाज से काफी सुखद रहेगा। निवेश सलाहकार फर्म नोमुरा का अनुमान है कि सितंबर से ब्याज दरों में वृद्धि का क्रम थम जाएगा। इसके बजाय रिजर्व बैंक सीआरआर (बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखे जाने कैश का अनुपात) घटा देगा। एक और पहलू यह है कि आंदोलन से हिली सरकार अब बड़े कॉरपोरेट हाउसों से सीधे पंगा नहीं ले सकती। इसके बजाय कार्रवाई को लेकर अपनी गंभीरता दिखाने के लिए वह भ्रष्ट लोगों को निशाना बनाएगी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का सांसद बेटा जगन रेड्डी केंद्र सरकार की इस मुहिम का पहला शिकार बना है।
पहले ब्याज दर में कमी बाजार को तेजी से सुधरने का आधार देगी और फिर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सरकार का खर्च अर्थव्यवस्था को फिर से 8 फीसदी विकास दर के लक्ष्य के करीब ले आएगा। इस बीच जिन लोगों ने जीडीपी की विकास दर का अनुमान घटाकर 7 फीसदी कर दिया है, वे हमेशा की तरह इस बार भी गलत साबित होंगे।
मंदड़िए जब शॉर्ट सेलिंग में लगे हैं, तेजड़िए तब पोजिशन बना लेना चाहते हैं क्योंकि सितंबर उत्साह की नई वजहें पेश करनेवाला है। मानसून अभी तक औसत से बेहतर रहा है जिसका मतलब है कि खाद्यान्नों का उत्पादन और भी अच्छा रहेगा।
वैसे कितने निवेशक इस समय खरीदने में सक्षम होंगे, यह बड़ा सवाल है क्योंकि अभी का बाजार केवल एफआईआई चला रहे हैं और उनके पास सेंसेक्स को अपने इशारों पर नचाने की जादुई छड़ी है। इस तरह की सुनियोजित गिरावट बहुत सारे निवेशकों के विकेट उखाड़ देती है। लेकिन क्या करें? यहां तो कोई भी अपनी आवाज़ नहीं उठाना चाहता। हर कोई डेरिवेटिव्स में खेलने को बेताब है। इससे पूंजी बाजार में कोई बदलाव नहीं आ सकता। इसलिए हमारे पास मौजूदा माहौल को झेलते रहने के अलावा कोई चारा नहीं है। मगर कब तक?
सत्यमेव जयते। लेकिन सत्य अपने-आप नहीं जीतता। अण्णा की तरह कुछ लोगों को इसकी पताका उठानी पड़ती है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)
first you write nifty sattlement 5400/5500.??/ now write nifty.
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