अगर आपको लगता है कि बजट आपके लिए है, गांव व गरीब के लिए है, नौजवान, महिलाओं, किसानों और बुजुर्गों के लिए है, नौकरी कर रहे या छोटी-मोटी कमाई करनेवाले मध्यवर्ग के लिए है तो आप गफलत में हैं। अगर आपको कहीं से यह लगता है कि बजट समाज कल्याण, शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए है, तब भी आप गफलत में हैं। यह बजट केवल और केवल सरकार के लिए है। इसमें अगर दरअसल किसी का कल्याणऔरऔर भी

जो कभी नहीं हुआ, वो अभी हो रहा है। शुक्रवार, 12 मार्च 1993 को जब सुबह से ही मुंबई बम धमाकों से थर्रा रही है, पूरी मुंबई में 257 लोग मारे गए और 1400 से ज्यादा घाटल हो गए, दोपहर डेढ़ बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बेसमेंट तक में जबरदस्त धमाका हुआ, तब भी अपना शेयर बाजार बंद नहीं हुआ था और उसमें सोमवार 15 मार्च से बाज़ार में बाकायदा ट्रेडिंग होने लगी। बुधवार, 26 मार्च 2008औरऔर भी

विश्व के जीडीपी में अमेरिका का योगदान 23% और वस्तु व्यापार में 12% ही है। फिर भी दुनिया का 60% उत्पादन और लोग उन देशों में हैं जिनकी मुद्रा की सांसें डॉलर में अटकी हुई हैं। अमेरिका ने दुनिया में अपना आधिपत्य 1920 से 1945 के दौरान ब्रिटेन को पीछे धकेलकर बनाया। लेकिन डॉलर की ताकत बनी रहने के बावजूद इधर अमेरिका की आर्थिक औकात कमजोर हो रही है। अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट निवेश में अमेरिकी कंपनियों का हिस्साऔरऔर भी

आज दुनिया कितनी ग्लोबल हो गई है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि अमेरिका में ऋण सीमा पर लटकी तलवार से उससे ज्यादा परेशानी चीन और जापान को हो रही है। इन देशों के मंत्रीगण अमेरिका को पटाने में लगे हैं कि किसी भी सूरत में ऐसी नौबत न आने दी जाए क्योंकि ऐसा हो गया तो उन्होंने अमेरिका को जो भारी भरकम कर्ज दे रखा है, उसे वापस पाना मुश्किल हो जाएगा। सोचिए, ऐसा तब हो रहाऔरऔर भी

अमेरिकी अर्थव्यवस्था साल 2013 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में उम्मीद से ज्यादा रफ्तार से बढ़ी है। खुद अमेरिकी सरकार का अनुमान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 1.7 फीसदी वृद्धि का था, जबकि अर्थशास्त्री 2.2 फीसदी का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन गुरुवार को अमेरिकी वाणिज्य विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका का जीडीपी अप्रैल-जून 2013 की तिमाही में 2.5 फीसदी बढ़ा है। यह विकास दर साल की पहली तिमाही से लगभग दोगुनी है। इसऔरऔर भी

आमतौर पर ग्वार की खेती करनेवाले किसान मार्च तक अपनी सारी फसल बाज़ार में उतार देते हैं। लेकिन इस साल उन्होंने खींच-खांच कर करीब डेढ़ महीने और इंतज़ार किया। जैसे ही उनकी फसल खलिहान से निकलकर बाज़ार में पहुंच गई, सरकार ने ग्वार और ग्वार गम की फ्यूचर ट्रेडिंग पर तेरह महीने पहले, मार्च 2012 से लगाया गया बैन उठा लिया। फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) के फैसले के बाद एमसीएक्स और एनसीडीएक्स ने मंगलवार, 14 मई 2013औरऔर भी

शेयर बाज़ार दिमागदार शेरों के लिए है, कमज़ोर दिलवालों के लिए नहीं। यहां जो घबराया, समझो गया। जो डरा सो मरा। इसीलिए कहते हैं कि शेयर बाज़ार में अच्छे दिमाग से भी ज्यादा अहम है अच्छा नर्वस सिस्टम। अर्थव्यवस्था में जितना भी नया मूल्य बनता है, उसमें हिस्सेदारी का बाज़ार है यह। यहां लोकतंत्र है बराबर के जानकारों का। पर सूचनाओं और ज्ञान की विषमता इसे भीड़तंत्र बना देती है। देखें, क्या रहेगी आज बाज़ार की दशा-दिशा….औरऔर भी