कल अचानक जिस तरह की कयासबाज़ी बढ़ गई थी कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है, वह आज मंगलवार को पूरी तरह हवाई निकली। रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। अब तत्काल प्रभाव से रेपो दर 6.25 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.25 फीसदी से बढ़कर 5.50 फीसदी हो गईऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है और 8 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 15.52 फीसदी पर आ गई है। हालांकि सब्जियों विशेषकर प्याज के दाम अभी भी ऊंचे बने हुए हैं। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार दाल, गेहूं व आलू के दाम में कमी की वजह से खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले 1 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 16.91 फीसदी थी,औरऔर भी

रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. दुव्वरी सुब्बाराव के मुताबिक हाल में हाउसिंग लोन घोटाले में रिश्वत लेकर जो भी ऋण दिए गए हैं, उनमें से सभी में स्थापित नियमों का पालन किया गया है। उन्होंने गुरुवार को कोलकाता में रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि इस सिलसिले में 14 ऋण खातों की जांच की गई है और इनमें से 13 खाते एकदम दुरुस्त तरीके से काम कर रहेऔरऔर भी

इस समय देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक ओ पी भट्ट का सालाना पैकेज 26.5 लाख रुपए का है। भट्ट का यह पैकेज सरकारी बैंक के प्रमुख होने के नाते है। दूसरी तरफ निजी क्षेत्र के दो बड़े बैंकों में से आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक चंदा कोचर का सालाना पैकेज 2.08 करोड़ रुपए और एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी का सालाना पैकेज 3.40 करोड़ रुपए का है। मजे कीऔरऔर भी

स्विटजरलैंड के बासेल शहर में जब दुनिया भर के बैंकिंग नियामक नए मानक को लेकर माथापच्ची कर रहे हैं तब हमारे बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. दुव्वरी सुब्बाराव का मानना है कि बासेल-III मानकों को अपनाने में भारतीय बैंकों को खास कोई मुश्किल नहीं होगी क्योंकि 30 जून 2010 तक ही वे 13.4 फीसदी का जोखिम-भारित आस्ति पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) हासिल कर चुके हैं, जिसमें टियर-1 पूंजी का हिस्सा 9.3 फीसदी है। डॉ.औरऔर भी

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने को प्राथमिकता मानते हुए ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। उसने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 फीसदी और रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। गौर करें कल शाम को लिखी गई अर्थकाम की खबर के पहले पैरा का आखिरी वाक्य, “हो सकता है कि रेपो में 0.25 फीसदी की ही वृद्धि की जाए, लेकिन रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदीऔरऔर भी

वित्तीय समावेश क्यों महत्वपूर्ण है? सीधी-सी बात कि यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह बराबरी वाले विकास को लाने और टिकाए रखने की आवश्यक शर्त है। ऐसे बहुत ही कम दृष्टांत हैं जब कोई अर्थव्यवस्था कृषि प्रणाली से निकलकर उत्तर-औद्योगिक आधुनिक समाज तक व्यापक आधारवाले वित्तीय समावेश के बिना पहुंची हो। हम सभी अपने निजी अनुभव से जानते हैं कि आर्थिक अवसरों का गहरा रिश्ता वित्तीय पहुंच से होता है। ऐसी पहुंच खासकर गरीबों के लिए बहुतऔरऔर भी

ग्रीस का संकट हमारे नीति-नियामकों को भी परेशान किए हुए है, लेकिन सभी एक स्वर से कहने में लगे हैं कि इसका भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले यह बात वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और वित्त सचिव अशोक चावला बोल चुके हैं। अब रिजर्व बैंक के गर्वरन डी सुब्बाराव ने भी कह दिया है कि ग्रीस संकट के चलते भारत के बाह्य क्षेत्र के सामने कोई समस्या नहीं आएगी। सुब्बाराव मंगलवार को पुणे में रिजर्व बैंकऔरऔर भी

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव का मानना है कि देश में बैंकिंग का कारोबार हिंदी या भारतीय भाषाओं के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने बुधवार को 2008-09 के लिए रिजर्व बैंक राजभाषा शील्ड पुरस्कार वितरण समारोह में यह बात कही। उनका कहना था कि हम ग्राहकों तक उनकी अपनी भाषा में ही बात करके बेहतर बैंकिंग सेवाएं पहुंचा सकते हैं और हिंदी आम आदमी तक पहुंचने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंनेऔरऔर भी

डॉ. डी सुब्बाराव दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जिसकी अर्थव्यवस्था वित्तीय बाजार की व्यापक पहुंच व विस्तार के बिना मजबूत और विकसित हुई हो। और, वित्तीय बाजार का ऐसा विस्तार तभी संभव है जब घर-परिवार व उसके सदस्य वित्तीय रूप से साक्षर हों और बचत से लेकर उधार लेने व निवेश करने के बारे में पूरी जानकारी के साथ सोच-समझकर फैसला कर सकें। यहां यह भी कहा जा सकता है कि अगर अमेरिका के लोगऔरऔर भी