बैंकिंग का कारोबार हिंदी के बिना संभव नहीं: सुब्बाराव

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव का मानना है कि देश में बैंकिंग का कारोबार हिंदी या भारतीय भाषाओं के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने बुधवार को 2008-09 के लिए रिजर्व बैंक राजभाषा शील्ड पुरस्कार वितरण समारोह में यह बात कही। उनका कहना था कि हम ग्राहकों तक उनकी अपनी भाषा में ही बात करके बेहतर बैंकिंग सेवाएं पहुंचा सकते हैं और हिंदी आम आदमी तक पहुंचने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि हिंदी के बिना बैंकिंग बिजनेस नहीं चल सकता।

इस मौके पर रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर डॉ. के सी चक्रवर्ती ने कहा कि हम इस समय बैंकिंग को आम आदमी के दरवाजे तक लेकर जा रहे हैं और इस काम में क्षेत्रीय भाषाएं या हिंदी अहम भूमिका निभा सकती है। पिछली साल रिजर्व बैंक के प्लैटिनम जुबली वर्ष में व्यापक अवाम तक पहुंचने के कार्यक्रमों में हमने इस जरूरत को बहुत शिद्दत से महसूस किया था। उन्होंने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देना हमारी वैधानिक ही नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी है। हिंदी को प्रोत्साहित करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बैंकिंग का पिछड़ापन ज्यादातर हिंदीभाषी इलाकों में ही है।

हर साल दी जानी राजभाषा शील्ड की शुरुआत 1980 में हुई थी। इसका मकसद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के रोजमर्रा के कामकाम में हिंदी को बढ़ावा देना है। 2008-09 की राजभाषा शील्ड प्रतियोगिता में देश के दो क्षेत्रों में पहला पुरस्कार यूनियन बैंक को मिला है, जबकि तीसरे क्षेत्र का पहला पुरस्कार भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के खाते में गया है।

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