रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. दुव्वरी सुब्बाराव के मुताबिक हाल में हाउसिंग लोन घोटाले में रिश्वत लेकर जो भी ऋण दिए गए हैं, उनमें से सभी में स्थापित नियमों का पालन किया गया है। उन्होंने गुरुवार को कोलकाता में रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि इस सिलसिले में 14 ऋण खातों की जांच की गई है और इनमें से 13 खाते एकदम दुरुस्त तरीके से काम कर रहे हैं यानी इनमें मुकर्रर समय पर किश्तों का नियमित भुगतान हो रहा है। बता दें कि हाल ही में सीबीआई ने तीन सरकारी बैंकों, एक निजी कंपनी के अधिकारियों के अलावा एलआईसी के निवेश सचिव और एलआईसी हाउसिंग के सीईओ को हाउसिंग लोन देने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
रिजर्व बैंक गवर्नर से यह भी कहा कि वे बैंकों की नकदी की समस्या से वाकिफ हैं और जब भी जरूरी हुआ, आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उनका कहना था, “हम इस मुद्दे का अध्ययन कर रहे हैं और जब भी जरूरी होगा, हम कुछ न कुछ उपाय करेंगे। लेकिन मैं वास्तव में नहीं कह सकता कि ये उपाय क्या होंगे और कब किए जाएंगे।”
असल में इधर हर दिन बैंक करीब एक लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक से रेपो दर पर उधार ले रहे हैं। जैसे, गुरुवार को ही बैंकों ने रिजर्व बैंक से सुबह और शाम को चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत कुल 1,24,780 करोड़ रुपए उधार लिये हैं। और, यह सिलसिला नवंबर में त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद से ही चल रहा है। सुब्बाराव ने कहा कि बैंकों के पास कैश की जो तंगी है उसकी वजह संरचनागत है क्योंकि बैंक जिस रफ्तार से कर्ज दे रहे हैं, उस रफ्तार से उनकी डिपॉजिट या जमा नहीं बढ़ रही है।
कोलकाता में गुरुवार को सुब्बाराव की अध्यक्षता में वित्तीय बाजारों की उच्चस्तरीय समन्वय समिति (एचएलसीसी) की बैठक भी हुई है। इसमें वित्त सचिव अशोक चावला, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु, सेबी के चेयरमैन सी बी भावे और आईआरडीए के चेयरमैन जे हरिनारायण के अलावा पेंशन फंड नियामक संस्था पीएफआरडीए के प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में कॉरपोरेट बांड बाजार के विकास और एनबीएफसी के नियमन की कमियों पर खास चर्चा हुई।