देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आम निवेशकों से कम से कम 500 करोड़ रुपए उधार लेने की पूरी तैयारी कर ली है। उसने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के पास बांडों का पब्लिक इश्यू लाने का ड्रॉफ्ट प्रॉस्पेक्टस जमा करा दिया है। इस इश्यू के जरिए वह अपना पूंजी पर्याप्तता अनुपात बढ़ाने के लिए टियर-2 श्रेणी के बांडों से 500 करोड़ रुपए जुटाना चाहता है। साथ ही उसने अतिरिक्त सब्सक्रिप्शन का 100औरऔर भी

बाजार पर नाहक ही तेजी का सुरूर चढ़ा हुआ है। मेरा सुझाव है कि ट्रेडरों को इस सेटलमेंट में तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है जब बाजार में करेक्शन नहीं आ जाता। फिलहाल करेक्शन इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि ट्रेडर अब भी हर बढ़त पर शॉर्ट हुए जा रहे हैं। इस दौरान अगर शॉर्ट सेल भी होती है तब भी आपको अफरातफरी मचाने की जरूरत नहीं है। बाजार खुद को करेक्शन के बिना सेंसेक्स केऔरऔर भी

मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मंदड़ियों ने पीछे भारी धक्का खाने के बावजूद अभी तक कोई सबक नहीं सीखा है। शॉर्ट सौदे करना उनका शौक बन गया है। टाटा स्टील में पैंट उतर जाने के बाद अब वे एसबीआई पर हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह शॉर्ट सेल के लिए सबसे अच्छा काउंटर है। उनका साफ-साफ तर्क यह है कि एसबीआई का स्टॉक 2950 रुपए के भाव परऔरऔर भी

शेयर तो गिरते-उठते रहते हैं। गिरते हुए बाजार में भी तमाम शेयर बढ़ जाते हैं और बढ़ते हुए बाजार में भी कई शेयर गिर जाते हैं। जैसे, कल एनएसई निफ्टी में 38.40 अंकों की गिरावट आई, लेकिन 447 शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। इसी तरह बीएसई सेंसेक्स में 97.76 अंकों की गिरावट के बावजूद 1184 शेयर बढ़ गए। इसलिए सूचकांकों के उठने-गिरने के चक्कर में पड़ने के बजाय यह समझना ज्यादा काम का होता है किऔरऔर भी

कुछ दिनों पहले हमने टाटा मोटर्स और एसबीआई की बात उठाई थी और इन दोनों ही शेयरों ने औरों से ज्यादा तेजी दिखाई है। आरडीबी को आईटीसी द्वारा खरीदने की बात अब पीटीआई, सीएनबीसी, एनडीटीवी, ब्लूमबर्म और रॉयटर्स जैसे कई समाचार माध्यमों में आ गई है। निश्चित रूप से अब इसका खंडन भी आएगा क्योंकि 350 करोड़ रुपए में सौदे की बात कही गई है, जबकि आरडीबी का बाजार पूंजीकरण अभी मात्र 75 करोड़ रुपए है। इसलिएऔरऔर भी

बड़ी आम-सी बात हो गई है कि जब दुनिया के बाजार बढ़ते हैं तो हमारे बाजार में करेक्शन आ जाता है। भारतीय शेयर बाजार कल काफी बढ़े। लेकिन आज जब दुनिया के बाजार बढ़त पर थे तब हम कमोबेश ठंडे पड़े रहे। यह काफी समय से हो रहा है। हो सकता है कि यह इंट्रा-डे ट्रेडरों को छकाने की चाल हो। व्यापक तौर पर माना जा रहा है कि निफ्टी का 5500 के ऊपर जाना बेहद मुश्किलऔरऔर भी

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो में चौथाई और रिवर्स रेपो में आधा फीसदी वृद्धि करने के बावजूद अक्टूबर से पहले होम या ऑटो लोन पर ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद नहीं है। यह कहना है ज्यादातर बैंकरों का। उनका मानना है कि मौद्रिक नीति के उपायों से ब्याज पर दबाव जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन अक्टूबर से कर्ज की मांग बढ़ने पर ही वे इसकी दरें बढ़ाने की स्थिति में होंगे। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैनऔरऔर भी

एचडीएफसी बैंक ने बेस रेट के मामले में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) को भी होड़ देने की ठान ली है। उसने अपना बेस रेट 7.25 फीसदी तय किया है, जबकि एसबीआई ने मंगलवार को घोषित किया था कि इस तिमाही के लिए वह अपना बेस रेट 7.50 फीसदी रखेगा। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने भी अपना बेस रेट एसबीआई के बराबर 7.50 फीसदी रखा है। बेस रेट वहऔरऔर भी

पहली जुलाई से बैंकों में लागू होनेवाले बेस रेट के एलान का सिलसिला मंगलवार से शुरू हो गया। देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने घोषित किया है कि उसका बेस रेट 7.5 फीसदी सालाना होगा। इसका मतलब यह हुआ कि कृषि ऋणों के अलावा एसबीआई कोई भी ऋण 7.5 फीसदी के कम ब्याज पर नहीं देगा। एसबीआई के फैसले के बाद दूसरे सभी बैंक आज और कल में अपने बेस की घोषणा करऔरऔर भी

देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दूसरी छमाही में 20,000 करोड़ रुपए का राइट्स इश्यू लाएगा। बैंक के चेयरमैन व प्रबंध निदेश ओ पी भट्ट ने बुधवार को दिल्ली में संवाददाताओं को यह जानकारी दी। राइट्स इश्यू में कंपनी के शेयरधारकों को ही शेयर बेचे जाते हैं। इसलिए एसबीआई के राइट्स इश्यू का भी तकरीबन 60 फीसदी केंद्र सरकार को खरीदना होगा क्योंकि बैंक की इक्विटी में उसकी हिस्सेदारीऔरऔर भी