पैसा भी कैसे बन जाए कमाऊ-पूत!
भारत युवाओं का देश, जहां की 65 फीसदी आबादी 35 साल के नीचे की है। इस युवा देश की नई पीढी खुली और तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के साथ जवान हुई है। इसी माहौल में पला-बढ़ा हमारा नया निवेशक भी देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। पर ज्यादातर कामयाब नहीं हो पाता। कारण वित्तीय जानकारी या साक्षरता का अभाव। सब कुछ बदल चुका है या बदलाव पर है। सोच से लेकर दिनचर्या, नियामक से लेकर नियम,औरऔर भी
अमेरिका तक में महिलाओं को पुरुषों से कम वेतन
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिकी में बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाओं का मानना है कि उन्हें उनके पुरूष समकक्षों के मुकाबले कम वेतन मिलता है। भले ही अनुभव और दक्षता के मामले में वे उनके बराबर ही क्यों न हों। रोजगार के बारे में जानकारी देने वाली वेबसाइट कैरियल बिल्डर के सर्वे में 38 फीसदी महिला कर्मचारियों का मानना है कि उन्हें पुरूष समकक्षों के मुकाबले कम वेतन मिलता है। इससे पहले वर्ष 2008 में किएऔरऔर भी
सरकारी कंपनियों में वेतन 100% बढ़ा
सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों का औसत सालाना वेतन 2009-10 में 6.09 लाख रुपए रहा है। सार्वजनिक उद्यम विभाग के सर्वे के मुताबिक पिछले चार साल में इनके वेतन में 100 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2009-10 में सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या 14.91 लाख थी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह संख्या 15.34 लाख थी। इस तरह कंपनियों ने 43,000 कर्मचारी घटा दिए।और भीऔर भी
सेबी ही नहीं, एनएसई का भी है एमसीएक्स से पंगा
एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज गुरुवार को अपने खिलाफ सुनाए गए सेबी के आदेश पर अगले कदम की उधेड़बुन में लगा है। इस बीच शुक्रवार को सेबी चेयरमैन सी बी भावे ने इस बाबत पूछे गए सवाल पर कहा कि हर किसी को तय नियमों का पालन करना पड़ेगा। लेकिन एमसीएक्स-एसएक्स लगातार इक्विटी ट्रेडिंग की इजाजत न मिलने को सेबी द्वारा एनएसई को बचाने की कोशिश बताता रहा है। जवाब में एनएसई भी उसे नीचा दिखाने से बाज नहींऔरऔर भी