ऑप्शंस में कॉल व पुट से आगे बढ़ते हुए हम यहां तक पहुंच गए हैं कि दोनों ही तरह के ऑप्शंस की तीन श्रेणियां होती हैं – इन द मनी (आईटीएम), ऐट द मनी (एटीएम) और आउट ऑफ द मनी (ओटीएम)। इनमें से ऑप्शन धारक को तभी फायदा होता है जब उसका खरीदा ऑप्शन इन द मनी या आईटीएम होता है। बाकी दोनों ही स्थितियों – एटीएम व ओटीएम में उसने ऑप्शंस खरीदते वक्त जो दामं याऔरऔर भी

डेरिवेटिव्स में ऑप्शंस का सौदा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसमें भी सबसे ज्यादा चलनेवाले ऑप्शंस दो तरह के होते हैं। एक कॉल ऑप्शंस और दो पुट ऑप्शन। कॉल ऑप्शन उसके धारक को नियत तिथि पर किसी आस्ति को पूर्व निधारित भाव या स्ट्राइक प्राइस पर खरीदने का हक देता है, लेकिन खरीदना उसकी बाध्यता नहीं होती। वहीं, पुट ऑप्शन उसके धारक को नियत तिथि पर किसी आस्ति को पूर्व निधारित भाव या स्ट्राइक प्राइस पर बेचने काऔरऔर भी

ऑप्शंस की चर्चा सोमवार को। उससे पहले हम फ्यूचर्स के कुछ खास-खास पहलू जान लें। कैश सेगमेंट में हम कोई स्टॉक जितने का खरीदते हैं, उतना मूल्य सौदा पूरा होते ही हमारे पास आ जाता है। लेकिन जब हम किसी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदते हैं, तब उसकी कोई वैल्यू नहीं होती। उसमें वैल्यू या मूल्य तब आता है, तब उसका भाव सौदे के भाव से इधर-उधर होता है। मसलन, हमने कोई फ्यूचर्स सौदा 100 रुपए का खरीदा तोऔरऔर भी

अमेरिका और यूरोप से बराबर कमजोरी की खबरें आती रहीं। भारतीय बाजार नीचे और नीचे होता रहा। दुनिया के बाजारों में गिरावट से भारतीय बाजार में घबराहट बढ़ती गई। शुक्र है कि रिटेल निवेशक अभी तक बाजार से बाहर हैं, इसलिए इस बार भुगतान का कोई संकट नहीं खड़ा हुआ। इस मायने में 2011 का सदमा 2008 के सदमे से भिन्न है। 2008 में बाजार यकीनन ओवरबॉट स्थिति में था, वह भी बड़े पैमाने पर मार्जिन याऔरऔर भी

बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की बिक्री चालू वित्त वर्ष 2010-11 की तीसरी तिमाही में मात्र 6 फीसदी बढ़ी है, लेकिन शुद्ध लाभ में 28.1 फीसदी इजाफा हुआ है। शुक्रवार को घोषित नतीजों के अनुसार दिसंबर 2010 की तिमाही में आरआईएल ने एक्साइज समेत कुल 62,399 करोड़ रुपए की बिक्री हासिल की है, जो दिसंबर 2009 की तिमाही की बिक्री 58,848 करोड़ रुपए से 6 फीसदी ज्यादा है। इसऔरऔर भी

बाजार के रुख और रवैये का बदलना अब इतना आसान नहीं रह गया है क्योंकि ट्रेडरों का बहुमत मानता है कि हम निफ्टी में 5500 व 4700 की तरफ जा रहे हैं। वे मानते हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ेगा और इससे बाजार की स्थितियां जटिल हो जाएंगी। ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी। हालांकि उनके तर्क में दम नहीं नजर आता, लेकिन उनकी हरकतें पूरी तरह उनकी सोच के अनुरूप हैं। 100औरऔर भी

देश की इकलौती लिस्टेड माइक्रो फाइनेंस कंपनी एसकेएस माइक्रोफाइनेंस का शेयर गुरुवार को तीखी गिरावट के साथ 20 फीसदी के निचले सर्किट ब्रेकर तक पहुंच गया। वो 639.45 रुपए की तलहटी बनाने के बाद 640.70 रुपए पर बंद हुआ जो मंगलवार के आखिरी भाव से 19.84 फीसदी नीचे है। यह जबरदस्त गिरावट सबह-सुबह कंपनी की तरफ से जारी बयान के बाद आई कि आंध्र प्रदेश में 15 अक्टूबर को अध्यादेश आने के बाद से 15 नवंबर तकऔरऔर भी