ऑप्शंस से आप कमाएं, ब्रोकर नहीं!

ऑप्शंस में कॉल व पुट से आगे बढ़ते हुए हम यहां तक पहुंच गए हैं कि दोनों ही तरह के ऑप्शंस की तीन श्रेणियां होती हैं – इन द मनी (आईटीएम), ऐट द मनी (एटीएम) और आउट ऑफ द मनी (ओटीएम)। इनमें से ऑप्शन धारक को तभी फायदा होता है जब उसका खरीदा ऑप्शन इन द मनी या आईटीएम होता है। बाकी दोनों ही स्थितियों – एटीएम व ओटीएम में उसने ऑप्शंस खरीदते वक्त जो दामं या प्रीमियम दिया था, वह सारा का सारा डूब जाता है यानी उतना घाटा उसे होना ही होना है।

ऑप्शंस में फायदा कैसे और कब होता है, आइए इसका गणित समझने की कोशिश करते हैं। चूंकि ज्यादातर आम ट्रेडर निफ्टी ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं, इसलिए हम उसी का उदाहरण लेकर यह गणित समझते हैं। कॉल ऑप्शंस को इन द मनी या आईटीएम तभी कहते हैं जब उसका कुछ न कुछ इन्ट्रिंजिक या अंतनिर्हित मूल्य होता है। दूसरे शब्दों में, उसका स्ट्राइक मूल्य (K) बाज़ार में संबंधित आस्ति के बंद मूल्य (St) से कम (दूसरे शब्दों में बंद मूल्य स्ट्राइक मूल्य से ज्यादा) होना चाहिए। जैसे, कल निफ्टी का बंद स्तर 9261.85 का रहा है। इसलिए इससे कम स्ट्राइक मूल्य (8000, 8050 से लेकर 9200, 9250 तक) के सारे कॉल ऑप्शन आईटीएम हैं क्योंकि निफ्टी का बंद भाव इनके स्ट्राइक मूल्य से ज्यादा है। कॉल ऑप्शन में चूंकि धारक के पास खरीदने का अधिकार होता है। इसलिए वह कम स्ट्राइक मूल्य पर खरीदकर ज्यादा बाज़ार मूल्य पर बेच सकता है। यह अंतर ही उसका इन्ट्रिंजिक या अंतनिर्हित मूल्य होता है।

कॉल ऑप्शंस खरीदने या उसके लॉन्ग सौदे में लाभ का फॉर्मूला इस प्रकार है:

π = max [(St – K), 0] – P

इसमें π का मतलब लाभ है। St – निफ्टी का कैश सेगमेंट में बंद मूल्य, K – ऑप्शन का स्ट्राइक मूल्य और P ऑप्शन का खरीद मूल्य।

मान लीजिए कि आपने कल निफ्टी में 9500 के स्ट्राइक मूल्य वाला कॉल ऑप्शन खरीदा, जिसका भाव 49 रुपए था। चूंकि कल निफ्टी 9261.85 पर बंद हुआ है जो आपके कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य 9500 से कम है, इसलिए वह आउट ऑफ द मनी या ओटीएम ऑप्शन हुआ।

अब इसे फॉर्मेले में रखकर लाभ की गणना करते हैं।

π = max [(9261.85 – 9500), 0] – 49 = max [(-238.15), 0] – 49 = 0 – 49 = -49

इस तरह इस सौदे में आपके द्वारा दिया गया 49 रुपए का प्रीमियम डूब गया। यह प्रीमियम व्यवहार में कम से कम 49 x 75 = 3675 रुपए का होगा क्योंकि निफ्टी ऑप्शंस में लॉट 75 का है।

अगर निफ्टी का बंद भाव 9500 यानी आपके स्ट्राइक प्राइस के बराबर होता, तब आपका ऑप्शन एटीएम या ऐट द मनी होता और तब भी चूंकि max [(St – K), 0] शून्य ही होता, इसलिए आपको घाटा लगता और सारा का सारा प्रीमियम डूब गया होता।

वहीं, अगर आपने 8500 स्ट्राइक मूल्य का कॉल ऑप्शन खरीदा होता और उसका खरीद मूल्य या प्रीमियम 450 रुपए रहा होता, तब आपके लाभ की गणना इस प्रकार की जाती।

π = max [(9261.85 – 8500), 0] – 450 = max (761.85, 0) – 450 = 761.85 – 450 = 311.85

इस तरह 450 रुपए का प्रीमियम या भाव देकर आपने 311.85 यानी 69.30 प्रतिशत कमा लिया होता। यह अलग बात है कि इस सौदे में 75 का लॉट होने के कारण आपको कम से कम 33,750 रुपए लगाने पड़ते। तब आपको 23,388.75 रुपए का फायदा होता।

वैसे, यह सब गणनाएं समझने के लिए हैं क्योंकि निफ्टी का बंद भाव डेरिवेटिव सौदे की एक्सपायरी के दिन, यानी इस बार 30 अप्रैल का गिना जाएगा, आज का नहीं। दूसरे, आज 8500 स्ट्राइक मूल्य के कॉल ऑप्शन का भाव 450 नहीं, बल्कि 756.85 रुपए रहा है। इसलिए 8500 स्ट्राइक मूल्य के कॉल ऑप्शन का अंतर्निहित मूल्य भले ही (9261.85 – 8500) 761.85 का नज़र आए। लेकिन वह ऑप्शन के दाम से ज्यादा है तो सारा समीकरण गड़बड़ हो जाता है।

अगर हमने कॉल ऑप्शन में खरीदने के बाद बेचने यानी लॉन्ग के बजाय शॉर्ट सौदा किया होता, तब उसमें लाभ का फॉर्मूला इस प्रकार है:

π = – max [St – K), 0] + P

पुट ऑप्शन में खरीदने या लॉन्ग सौदा करने पर लाभ का फॉर्मूला है:

π = max [(K – St), 0] – P

वहीं, पुट ऑप्शन में बेचने या शॉर्ट करने पर लाभ का फॉर्मूला है:

π = – max [(K – St), 0] + P

आपको ये फॉर्मूले और सारा गणित काफी उलझा हुआ लग रहा होगा। इसलिए इसे धीरे-धीरे समझते हैं। कोई हड़बड़ी नहीं। लॉकडाउन तक तो इसे हफ्ते में पांच दिन पढ़ेंगे ही। बाद में भी यह सिलसिला हर हफ्ते शनिवार को इसी कॉलम में जारी रहेगा। लेकिन इतना तय मानिए कि ऑप्शंस ट्रेडिंग में अगर इसका पूरा ताना-बाना समझे बिना आप उतरेंगे तो आप नहीं, आपका ब्रोकर चरका पढ़ाकर खुद कमाएगा और आपको मजे में लाखों का चूना लगा देगा।

 

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