जिस तरह ओस की बूंदों से प्यास नहीं बुझती, उसी तरह ट्रेडिंग में हर शेयर की तरफ भागने से कमाई नहीं होती। जिस तरह आपका अपना व्यक्तित्व है, उसी तरह हर शेयर का खास स्वभाव होता है। अपने स्वभाव से मेल खाता एक भी स्टॉक चुन लेंगे तो वो आपका फायदा कराता रहेगा। तमाम कामयाब ट्रेडर पांच-दस से ज्यादा स्टॉक्स में ट्रेड नहीं करते। इसलिए वही-वही नाम देखकर बोर होने की ज़रूरत नहीं। अब मंगल का ट्रेड…औरऔर भी

चूंकि हमारे शेयर बाज़ार में विदेशी निवेशक संस्थाएं (एफआईआई) बड़ी दबंग स्थिति में हैं। इसलिए बाज़ार का उठना गिरना इससे भी तय होता है कि डॉलर के मुकाबले रुपए का क्या हाल है। कल डॉलर का भाव 62.30 रुपए पर लगभग जस का तस रहा तो निफ्टी भी ज्यादा नहीं गिरा। हालांकि लगातार पांचवें दिन बाज़ार का गिरना पिछले तीन साल की सबसे बुरी शुरुआत है। पर सुबह दस बजे बाज़ार को बहुत तेज़ झटका लगा कैसे?…औरऔर भी

आप बुरा होना पक्का माने बैठे हों, तब ऐनवक्त पर वैसा न होना आपको बल्लियों उछाल देता है। कल ऐसा ही हुआ। थोक और रिटेल मुद्रास्फीति के ज्यादा बढ़ जाने से सभी मान चुके थे कि रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ा ही देगा। लेकिन उसने मौद्रिक नीति को जस का तस रहने दिया। ग्यारह बजे इसका पता लगने के तीन मिनट के भीतर निफ्टी सीधा एक फीसदी उछलकर 6225.20 पर जा पहुंचा। पकड़ते हैं आज की गति…औरऔर भी

रामचरित मानस की यह चौपाई याद कीजिए कि मुनि वशिष्ठ से पंडित ज्ञानी सोधि के लगन धरी, सीताहरण मरण दशरथ को, वन में विपति परी। जीवन और बाज़ार की यही खूबसूरती है कि वह बड़े-बड़े विद्वानों की भी नहीं सुनता। जहां लाखों देशी-विदेशी निवेशकों का धन-मन लगा हो, भाव हर मिनट पर बदलते हों, वहां बाज़ार को मुठ्ठी में करने का दंभ भला कैसे टिकेगा! इसलिए फायदे के साथ रखें घाटे का हिसाब। अब बुध की बुद्धि…औरऔर भी

क्या शेयर बाज़ार में वाकई ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो भावनाओं के गुबार में गुब्बारा बन जाते हैं या यह गुबार सिर्फ नई मछलियों को फंसाने का चारा भर होता है? बीते सोमवार को निफ्टी सुबह-सुबह 6670.30 तक उछलकर आखिर में 6363.90 पर बंद हुआ था। वही इस सोमवार तक हफ्ते भर में ही महीना भर पीछे जाकर 6154.70 पर बंद हुआ। भावनाओं के इस खेल में खिलाड़ी कौन है? चिंतन-मनन करते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

दिसंबर महीने के दूसरे पखवाड़े में आम लोगों के लिए ऐसे सरकारी बांड जारी कर दिए जाएंगे जिसमें बचत को महंगाई की मार से सुरक्षित रखा जा सकता है। इन बांडों का नाम है इनफ्लेशन इंडेक्स्ड नेशनल सेविंग्स सिक्यूरिटीज – क्यूमुलेटिव (आईआईएसएस-सी)। इन्हें रिजर्व बैंक केंद्र सरकार से सलाह-मशविरे के बाद लांच कर रहा है। शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने आधिकारिक जानकारी दी कि इन्हें दिसंबर माह के दूसरे हिस्से में पेश कर दिया जाएगा। बता देंऔरऔर भी

डॉलर की फांस फिर चुभने लगी है। रुपया गिरने लगा है। लेकिन ज्यादा गिरने की उम्मीद नहीं है क्योंकि इस बार रिजर्व बैंक के पास सिस्टम में डालने के लिए पर्याप्त डॉलर हैं। इस बीच सितंबर में हमारा औद्योगिक उत्पादन 2% बढ़ा है, जबकि अगस्त में यह 0.4% ही बढ़ा था। यह ठीकठाक खबर है। पर अक्टूबर में उपभोक्ता मुद्रास्फीति का उम्मीद से ज्यादा 10.09% बढ़ना बुरी खबर है। क्या होगा इस खबरों का असर, बताएगा बाज़ार…औरऔर भी

ट्रेडिंग आसान है। ब्रोकर के पास डीमैट एकाउंट खुलवाया और शुरू हो गए। पर सफल ट्रेडर बनना बेहद मुश्किल है। मुश्किल इसलिए नहीं कि यह कोई रॉकेट साइंस है, बल्कि इसलिए कि आपको सामनेवाले शख्स को हराना है। बड़ी पूंजी के साथ प्रोफेशनल्स बैठे हैं सामने। कोई शेखचिल्ली उनसे कभी नहीं जीत सकता। उन्हें हराने के लिए उनके जैसा ही दक्ष बनना पड़ता है, अध्ययन और कठोर अभ्यास करना पड़ता है। इसी कड़ी में बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

इस हफ्ते एक के बाद एक तीन अहम खबरें आने वाली हैं। आज सरकार अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक से जुड़ी मुद्रास्फीति का आंकड़ा जारी करेगी। बुधवार को अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व की समिति बांड खरीद पर कुछ बोलेगी। फिर शुक्रवार को रिजर्व बैंक के नए गवर्नर रघुराम राजन बीच तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेंगे। इस तरह इस हफ्ते 16, 18 और 20 सितंबर के दिन काफी अहम हैं। अब आगाज़ इस हफ्ते का…औरऔर भी

यूं तो इधर सभी ब्रिक देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) की आर्थिक दशा खराब चल रही है। लेकिन इनमें सबसे खराब हालत भारत की है। इसका पता दयनीयता या मिज़री सूचकांक से चलता है। यह सूचकांक किसी देश में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की दर को जोड़कर निकाला जाता है। भारत का दयनीयता सूचकांक अभी 17.8% (बेरोजगारी दर 8.5% + मुद्रास्फीति 9.3%) है, जबकि ब्राज़ील में यह सूचकांक 10.9% (5.5% + 5.4%), रूस में 10.8% (5.7% + 5.1%)औरऔर भी