वाणिज्य मंत्रालय की पहल के चलते निर्यातकों को अपने धंधे की लागत 45 करोड़ डॉलर कम करने में मदद मिली है। वाणिज्‍य व उद्योग राज्‍यमंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने दावोस में बुधवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में एक पैनल चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के कदमों से निर्यातकों के लिए लेन-देन की कीमत कम हुई है और उन्हेँ लगभग 45 करोड़ डॉलर का फायदा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत उदारीकरणऔरऔर भी

विदेशी मुद्रा के डेरिवेटिव सौदे इसीलिए होते हैं कि आयातक-निर्यातक डॉलर से लेकर यूरो व येन तक की विनिमय दर में आनेवाले उतार-चढ़ाव से खुद को बचा सकें और डेरिवेटिव सौदे कराने का काम मुख्य रूप से हमारे बैंक करते हैं। लेकिन अगस्त 2006 से अक्टूबर 2008 के दौरान जब रुपया डॉलर के सापेक्ष भारी उतार-चढ़ाव का शिकार हुआ, तब बैंकों ने हमारे निर्यातकों को ऐसे डेरिवेटिव कांट्रैक्ट बेच दिए जिनसे उनको तो फायदा हो गया, लेकिनऔरऔर भी