नहीं पता क्यों, बाजार शनिवार को भी 11 बजे से 1 बजे तक दो घंटे के लिए खोला गया। यह ट्रेडिंग क्यों हुई? इसका कोई स्पष्ट कारण पता नही लग सका। हां, निवेशक संस्थाओं के अभाव में बाजार एकदम लस्त-पस्त रहा। एफआईआई ने 13.87 करोड़ की खरीद की तो 23.37 करोड़ रुपए की बिकवाली। वहीं डीआईआई की खरीद 5.46 करोड़ और बिक्री 10.33 करोड़ रुपए की रही। निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5399 का रहा है, जबऔरऔर भी

उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूल रहा है बाजार। मंदडिए जाहिरा तौर पर हावी हैं। लेकिन वे जब हर तरफ अपना डंका बजा रहे हैं, तब बाजार चुपचाप उनके हमले से तहस-नहस हालात को संभालने में जुट गया है। मेरे बहुत से दोस्त निफ्टी में 4000 पर पुट ऑप्शन या बेचने के सौदे करके बैठ गए हैं। लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि वे ऐसा करके बुरे फंस गए हैं। बाजार ने सुधरने का एक पैटर्न-साऔरऔर भी

अमेरिका में ऋण-सीमा बढ़ाने का मुद्दा अब इतिहास बन चुका है। मूडीज ने बिना रेटिंग बदले अमेरिका को डाउनग्रेड कर दिया है। नतीजतन अमेरिकी बाजार कल धड़ाम हो गए। यह सब तो निपट गया। अब आगे क्या? अब आप अमेरिकी बाजार को लेकर क्या बहस करेंगे? क्या आप अब भी भारत में बेचते रहेंगे क्योंकि कौन जानता है कि अमेरिका का अगला डाउनग्रेड तीन महीने बाद ही हो जाए? ध्यान रखें कि अमेरिकी बाजार में भरपूर लोचऔरऔर भी

हर बिंदु पर भ्रम है, अनिर्णय है, द्वंद्व है। भगवान या संत के नाम पर इन्हें सुलझाने का भ्रम पैदा किया जाता है। लेकिन जो लोग वाकई इन्हें सुलझाने में सिद्ध हो जाते हैं, सत्ता उनकी चेरी बन जाती है।और भीऔर भी