अगर किसी व्यक्ति ने बैंक, वित्तीय संस्था या अनुमोदित धर्मार्थ संस्था से अपने या अपने रिश्तेदार की उच्च शिक्षा के लिए ऋण ले रखा है तो इस पर ब्याज के रूप में दी गई राशि उस व्यक्ति की करयोग्य राशि में से घटा दी जाएगी। दूसरे शब्दों में मान लीजिए कि सारी कटौतियों के बाद किसी व्यक्ति की करयोग्य आय तीन लाख रुपए बनती है और उसने अपने बेटा-बेटी की उच्च शिक्षा के ऋण पर साल मेंऔरऔर भी

रिजर्व बैंक एक तरफ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की सेहत को लेकर परेशान है, वहीं हमारे बैंक इस क्षेत्र को जमकर कर्ज रहे हैं। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के वाणिज्यिक बैंकों ने जुलाई 2011 में एनबीएफसी को पिछली जुलाई की तुलना में 55.6 फीसदी ज्यादा कर्ज दिया है, जबकि पिछली बार इस क्षेत्र को दिए गए कर्ज में वृद्धि केवल 10.9 फीसदी थी। एनबीएफसी को दिए गए बैंक ऋण की मात्रा इस समयऔरऔर भी

किसी गाड़ी के लिए शॉक एब्जॉर्वर जो काम करता है, वैसी ही भूमिका किसी कर्जदार के लिए मोर्गेज इंश्योरेंस की है। आपने यदि किसी प्रकार का कर्ज लिया है तो मोर्गेज इंश्योरेंस काफी उपयोगी हो सकता है। खास कर उस स्थिति में और ज्यादा, जब कर्ज लेने के बाद आपकी असामयिक मौत हो जाती है। तब मोर्गेज इंश्योरेंस ही आपके परिवार की चिंताएं दूर करता है। कैसे काम करता है: मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपएऔरऔर भी