रिजर्व बैंक एक तरफ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की सेहत को लेकर परेशान है, वहीं हमारे बैंक इस क्षेत्र को जमकर कर्ज रहे हैं। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के वाणिज्यिक बैंकों ने जुलाई 2011 में एनबीएफसी को पिछली जुलाई की तुलना में 55.6 फीसदी ज्यादा कर्ज दिया है, जबकि पिछली बार इस क्षेत्र को दिए गए कर्ज में वृद्धि केवल 10.9 फीसदी थी। एनबीएफसी को दिए गए बैंक ऋण की मात्रा इस समय 1,73,240 करोड़ रुपए है।
यही नहीं, बैंकों ने कमर्शियल रीयल एस्टेट को अभी 1,16,245 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है। यह पिछली जुलाई की तुलना में 17.1 फीसदी ज्यादा है। पिछली बार इस क्षेत्र को उन्होंने केवल 2.4 फीसदी ज्यादा कर्ज दिया था। रिजर्व बैंक ने ये आंकड़े 47 वाणिज्यिक बैंकों से मिली जानकारी के आधार पर जारी किए हैं। लेकिन इनसे वास्तविक रुझान का पता चल जाता है क्योंकि कुछ गैर-खाद्य ऋण का 95 फीसदी इन्हीं चुनिंदा बैंकों द्वारा दिया जाता है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक इन बैंकों ने 29 जुलाई तक कुल 37,96,619 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा था। इसमें से 67,461 करोड़ का खाद्य ऋण (एफसीआई को दिया जानेवाला ऋण) और बाकी 37,28,158 करोड़ रुपए का गैर-खाद्य ऋण था। बैंकों का कुल वितरित ऋण पिछले साल की जुलाई से 19.1 फीसदी ज्यादा है, जिसमें से खाद्य ऋण 31.6 फीसदी और गैर-खाद्य ऋण 18.9 फीसदी बढ़ा है। कमर्शियल रीयल एस्टेट व एनबीएफसी को बैंकों ने कुल 2,89,485 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है, जो कृषि समेत उनके कुल वितरित कर्ज का 7.76 फीसदी है।
सामाजिक रूप से कुछ चिंताजनक पहलू ये भी हैं कि इस बार कृषि क्षेत्र को दिया गया बैंकों का ऋण 11.8 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछली बार यह 19.9 फीसदी बढ़ा था। इस बार शिक्षा ऋण 14.8 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछली बार यह 27.4 फीसदी बढ़ा था। इस बार माइक्रो क्रेडिट मात्र 0.3 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछली बार यह 37.4 फीसदी बढ़ा था।
यह भी नोट करने की बात है कि बैंकों ने जुलाई 2011 में एफडी के एवज में 18.2 फीसदी ज्यादा परसनल लोन दिया है, जबकि जुलाई 2010 में यह बढ़त केवल 7 फीसदी थी। इसी तरह इस बार शेयरों व बांडों वगैरह के एवज में 25.6 फीसदी ज्यादा निजी कर्ज दिया है, जबकि पिछली बार यह वृद्धि 21 फीसदी थी। क्रेडिट कार्ड का बकाया पिछली बार 26.5 फीसदी घट गया था, जबकि इस बार यह न तो बढ़ा, न ही घटा है।