केंद्र सरकार ने कहा है कि डीजल की कीमतों को नियंत्रण-मुक्त करने का फिलहाल उसका कोई इरादा नहीं है। सरकार के इस बयान से ट्रांसपोर्टरों के साथ डीजल का इस्तेमाल करने वाले अन्य वर्ग के लोगों को राहत मिली है। वित्त सचिव अशोक चावला ने एक प्रमुख टेलिविजन चैनल पर एक परिचर्चा के दौरान कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि डीजल की कीमतों को नियंत्रण-मुक्त किए जाने का यह सही समय है और न ही यह उचित होगा।’’औरऔर भी

देश की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा कि सरकार द्वारा पेट्रोल कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने और रसोई गैस व डीजल के दाम बढाने के फैसले से  सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां का घाटा या अंडर रिकवरी मौजूदा वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपए कम हो जाएगा। क्रिसिल का कहना है कि इस तरह के कदमों का तेल विपणन कंपनियों के वित्तीय जोखिम प्रोफाइल पर सकारात्मक असर होगा। इससेऔरऔर भी

सरकार ने आज बड़ा फैसला लेते हुए पेट्रोल की कीमतों से नियंत्रण पूरी तरह हटा लिया। अब पेट्रोल पर सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी और इसका मूल्य बाजार के हिसाब से तय होगा। लेकिन डीजल पर अभी सरकार थोड़ा नियंत्रण बरकरार रखेगी, जबकि रसोई गैस और केरोसिन के मूल्य अब भी पूरी तरह उसके नियंत्रण में रहेंगे। मंत्रियों के साधिकार समूह (एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स – ईजीओएम) ने शुक्रवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी

पिछले हफ्ते से ही चर्चा थी कि सोमवार 7 जून को मंत्रियों का समूह पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला कर लेगा। इसके हिसाब से गणनाएं भी की जा रही थीं कि इंडियन ऑयल से लेकर ओएनजीसी का मूल्यांकन कितना बढ़ जाएगा और उनके शेयर कितने बढ़ सकते हैं। लेकिन कोरम न पूरा होने से मंत्रियों के समूह की बैठक ही न हो सकी और सारे कयास कुछ समय के लिए धरे के धरे रहऔरऔर भी