यहां से वहां तक सारे फैसले तो लोग ही करते हैं। दूर से सब कुछ धुंधला दिखता हैं। यह धुंधलका और गहरा हो जाए, साफ कुछ न दिखे, इसलिए लोग भगवान व विधान का पाखंड खड़ा कर देते हैं।और भीऔर भी

जो हुआ, जैसे हुआ, उसे वैसा ही होना था। पछताना क्या? हमारे साथ नहीं होता तो किसी और के साथ होता। बस, नाम बदल जाता। घात-प्रतिघात से ही जीवन बनता है और हमारे कर्मों से संवरता है।और भीऔर भी

कभी-कभी, जिसे हम किस्मत कहते हैं, वह हमारा इंतजार उस नुक्कड़ पर कर रही होती है जिसकी तरफ हम झांकना बंद कर चुके होते हैं। इसलिए उससे मुलाकात के लिए बने-बनाए फ्रेम को तोड़ते रहना पड़ता है।और भीऔर भी

अनंत चुम्बकीय क्षेत्रों से घिरे हैं हम। अणु-परमाणु तक का अपना हलका है। ऐसे में खुद भी एक गुरुत्व व चुम्बकीय क्षेत्र के मालिक होने के नाते हम जितना चल सकते हैं, वह हमारी आजादी है। बाकी सब विधि का विधान है।और भीऔर भी

किसी भी चीज का ऊपर से नीचे गिरना नियति है। लेकिन गुरुत्वाकर्षण जैसे नियमों को समझ जहाज बनाकर नीचे से ऊपर उड़ा देना इंसान की स्वतंत्रता है। यही है नियति की अधीनता और कर्म की प्रधानता।और भीऔर भी