बाजार में रोलओवर की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। आज बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन ठीक-ठाक उतार-चढ़ाव दिखाई दिया। सेंसेक्स 140.63 अंक इधर-उधर होने के बाद 55.20 अंकों (0.31%) की बढ़त लेकर बंद हुआ तो निफ्टी 41.35 अंक इधर-उधर होने के बाद 7.50 अंक (0.14%) बढ़कर बंद हुआ है। रोलओवर का दौर कल से शुरू हो जाएगा और अगले हफ्ते गुरुवार तक पांच दिन चलेगा।
वैसे आपको बता दूं कि रोलओवर का खेल शुद्ध रूप से एफआईआई के लिए आर्बिट्राज से कमाई करने का खेल है। निवेशक डेरिवेटिव्स सौदों (फ्यूचर्स व ऑफ्शंस या एफ एंड ओ) के वोल्यूम पर जाते हैं। लेकिन इसके पीछे तमाम कलाकारियां चलती हैं। प्रवर्तक कैश बाजार में बेचते हैं और एफआईआई खरीद लेते हैं। वहीं फ्यूचर्स में प्रवर्तक बढ़ने की धारणा के साथ खरीद कर डालते हैं या लांग हो जाते हैं, जबकि एफआईआई गिराने की ठान कर शॉर्ट बने रहते हैं। इस तरह महीने दर महीने आर्बिट्राज पर कमाई करते रहते हैं। मजे की बात यह है कि इस सारे गोरखधंधे की फंडिंग प्रवर्तकों की तरफ से होती है।
आज बाजार में छाई निराशा को थोड़ी और हवा तब मिल गई जब तीन स्टॉक्स को 27 मई से एफ एंड ओ से निकाल देने का फरमान आ गया। ये स्टॉक हैं – चेन्नई पेट्रो, रिलायंस मीडिया और ऑरबिट। मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि इन तीनों स्टॉक्स में आगे भारी गिरावट आ सकती है। हालांकि चेन्नई पेट्रो सुरक्षित हाथों में बंधा हुआ काउंटर है, इसलिए उसमें नुकसान कम हो सकता है। आज इसमें 2.25 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
बाजार की मानसिकता की बात करें तो यहां इस समय बेचने का चक्र चला हुआ है। बराबर इसी का बहाना खोजा जा रहा है। पंटरों ने पहले सरकारी कंपनियों के स्टॉक्स को निशाना बनाया क्योंकि उन्हें पता था कि सरकार इन्हें बचाने नहीं आएगी और इन्हें तोड़ा जा सकता है। इसकी एक वजह यह भी थी कि चंद तेजड़ियों ने इन पीएसयू स्टॉक्स में व्यापक स्तर पर खरीद के सौदे कर रखे हैं। सो, कुछ मंदड़ियों ने तेजड़ियों पर हमला शुरू कर दिया। एफ एंड ओ में सब कुछ चलता है। असल में इकनॉमिक टाइम्स ने इसी हफ्ते एक खबर की है जिसमें एफ एंड ओ में वोल्यूम के घटने का ब्यौरा दिया गया है। इसी के फौरन बाद एनएसई ने तीन शेयरों को यहां से हटाने का एलान कर दिया।
पंटर लोग इनफोसिस में 2600 रुपए का निशाना साधकर बिकवाली कर रहे हैं। चर्चा है कि कंपनी से निकल चुके मोहनदास पई इनफोसिस में अपने हिस्से के शेयर खुले बाजार में बेच देंगे। एक और स्टॉक जिसमें आज करीब 5 फीसदी की गिरावट आई है, वो है ऑर्किड केमिकल्स। सुना जा रहा है कि आरजे (राकेश झुनझुनवाला) ने कल 18 मई को कंपनी के नतीजों के आने से पहले इसमें अपनी लांग पोजिशन बेच डाली थी जिसने इसमें गिरावट की राह खोल दी।
एफ एंड ओ सेगमेंट से कुछ और स्टॉक्स को बाहर किए जाने की संभावना है। इससे निवेशकों का भरोसा एफ एंड ओ से उसी तरह उड़ सकता है जैसा अभी ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में हो रहा है। कल्पना कीजिए कि अगर ज्यादा हाथों में चले गए बीजीआर एनर्जी जैसे स्टॉक्स सेबी के 26 अक्टूबर 2010 के सर्कुलर की शर्तों को पूरा न करें और ट्रेड टू ट्रेड में डाल दिए जाएं तो क्या होगा? ऐसी दर्जन भर कंपनियां हैं जो उक्त सर्कुलर का पालन नहीं करतीं, हालांकि इनमें से अधिकांश या तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं या सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कंपनियां।
बीएसई ने इस सर्कुलर को आधार बनाकर 12 कंपनियों को ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में डाल दिया है। अब इन 12 कंपनियों के शेयरों में वोल्यूम के खत्म होने के साथ-साथ उनके भाव भी डूब जाएंगे। इसलिए जिन भी निवेशकों के पास इन 12 कंपनियों के शेयर हैं, उन्हें तत्काल बेचकर बाहर निकल लेना चाहिए। रामसरूप इंडस्ट्रीज को जब से ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में डाला गया है, वह 117 रुपए से घटकर 17 रुपए पर आ चुका है। ब्रशमैन भी ट्रेड टू ट्रेड का मारा है और 9 से 3 रुपए पर आ चुका है। यही हश्र क्विंटेग्रा सोल्यूशंस का हुआ है जो 3.90 रुपए तक गिर चुका है। एक्सचेंज की ऐसी हरकतें शेयर बाजार में निवेशकों के भरोसे को मिटाती रहेंगी। बीएसई की घोषित सूची के अनुसार आज भी ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में 636 कंपनियां पड़ी हुई हैं, जबकि यहां से 59 को निकाला जा चुका है।
खैर, इस प्रकरण का स्पष्ट सबक यह है कि बी ग्रुप का कोई स्टॉक अगर ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में है और उसमें काफी गिरावट आ चुकी है तो उसमें लंबे वक्त के लिए ही निवेश करें। रामा पेपर ऐसे ही चक्कर में 12 रुपए तक चला गया था। लेकिन अब 45 रुपए पर है। यूनिवर्सल लगेज के साथ भी ऐसा हो चुका है। इन मामलों में ऐसे दौर में कोई फंडामेंटल नहीं चलते। इसलिए इनमें अपने निवेश को हाल-फिलहाल मरा हुआ ही मानकर चलना चाहिए।
सर्वलक्ष्मी पेपर हफ्ते भर पहले लिस्टिंग के दिन 48.75 रुपए तक जाने के बाद अब गिरकर 13.40 रुपए पर आ चुका है। यह निवेशकों की लक्ष्मी को स्वाहा कर चुका है। मुथूत फाइनेंस भी 157 रुपए पर आ गया है जबकि ग्रे मार्केट में इसे 240 रुपए तक चढ़ाया गया था। इसमें कुछ ऐसे ऑपरेटर निवेशक घुसे हुए हैं जिन्हें हर हाल में निकलना है। इसलिए कुछ भी हो जाए, इसे 120 रुपए तक गिरते ही जाना है। यह उस आईपीओ का हश्र है जिसे हमने खुलने से पहले हाथ लगाने से भी मना कर दिया था।
हम आशा करते हैं कि किसी न किसी दिन यह सब गोरखधंधा खत्म होगा और कैश बाजार में रिटेल निवेशकों को खींचने के लिए कुछ साहसी व ठोस कदम उठाए जाएंगे। ऐसा जितना जल्दी हो जाए, उतना ही बेहतर है। तब तक हमें अपने ही जोखिम पर बाजार से दो-दो हाथ करते रहना पड़ेगा।
ग्रह, नक्षत्र या सितारे हमारी किस्मत नहीं बनाते। लेकिन हम चाहें तो बना सकते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)