मार्च में खत्म हो रहे वित्त वर्ष 2012-13 के आम बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य व प्रसारण जैसी सामाजिक सेवाओं पर 20,784 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान है। यह देश की 121 करोड़ से ज्यादा आबादी के लिए है। वहीं, केंद्र सरकार राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे मुठ्ठी भर वीवीआईपी लोगों के लिए 12 हेलिकॉप्टर खरीदने का फैसला करती है, जिसकी लागत 3600 करोड़ रुपए है। यह रकम सामाजिक सेवाओं के व्यय की 17.32% बैठती है। भले हीऔरऔर भी

लोकसभा में जुलाई 2008 में विश्वास मत के दौरान ‘वोट के बदले नोट घोटाले’ संबंधी विकिलीक्स के खुलासों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खीझ और बचाव की मुद्रा में ला खड़ा दिया है। वे जहां संसद में विपक्ष को जनता द्वारा खारिज किए जाने की दुहाई देते रहे, वहीं संसद से बाहर उन्होंने खुद अपने पाक-साफ होने की दलील थी। उनका सांसदों की खरीद-फरोख्त से साफ इनकार नहीं किया। बस इतना कहते रहे कि उनका इससे कोईऔरऔर भी

ब्रिटेन के कम से कम पांच विश्वविद्यालयों ने लीबिया के साथ किए गए करीब 40 लाख पाउंड के करार से हाथ खींच लिया है। हालांकि आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन के लगभग सारे विश्वविद्यालयों में लीबिया के राष्ट्रपति मुअम्मर गद्दाफी के पैसे लगे हैं। मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन, टेसाइड, लीवरपूल जॉन मूर्स और एडिनबर्ग स्थित ग्लैमोरगन एण्ड क्वीन मागरेट विश्वविद्यालय ने घोषणा की है कि उन्होंने लीबिया के शासकों के साथ वहां हो रहे संघर्ष के मद्देनजर 300 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओंऔरऔर भी

जिस वित्तीय सेवा कंपनी को वल्लभ भंसाली में 1984 में अपने बड़े भाई (स्वर्गीय) मानेक भंसाली और दो दोस्तों नेमिश शाह व जगदीश मास्टर के साथ मिलकर बनाया था, उसे अब उन्होंने निजी क्षेत्र के तीसरे सबसे बड़े बैंक, एक्सिस बैंक को बेचने का फैसला कर लिया है। बुधवार को ईल-उल-जुहा के दिन एक्सिस बैंक की सीईओ शिखा शर्मा और एनम सिक्यूरिटीज के चेयरमैन वल्लभ भंसाली ने एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। वल्लभ भंसाली नेऔरऔर भी

ज़ाइकॉम इलेक्ट्रॉनिक सिक्यूरिटी सिस्टम्स के नाम और ब्रांड से शायद आप परिचित ही होंगे। घरों से लेकर दफ्तरों और सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी व दूसरे जो तमाम इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा सिस्टम आप देखते हैं, बहुत मुमकिन है कि वे ज़ाइकॉम के हों। यह इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपकरण मुहैया करानेवाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी पहले चीन से सारा माल आयात करके भारत में बेचती थी। लेकिन इस साल मई से उसने हिमाचल प्रदेश के परवानू में अपनीऔरऔर भी

अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनी एबॉट ने भारत की दवा कंपनी पिरामल हेल्थकेयर को 372 करोड़ डॉलर (17,465 करोड़ रुपए) में खरीदने का ऐलान कर दिया है। इस अधिग्रहण से एबॉट भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी बन गई है। अधिग्रहण करार के तहत एबॉट पिरामल हेल्थकेयर को 212 करोड़ डॉलर एकमुश्त देगी और बाकी 160 करोड़ डॉलर 40-40 करोड़ डॉलर की चार सालाना किश्तों में दिए जाएंगे। एबॉट का कहना है कि इस सौदे से उसेऔरऔर भी