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निफ्टी की दशा-दिशा: बुधवार 25 जनवरी 2023 अंतिम रुख↓ शाम 3.30 बजे

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culture

hamari marji

मर्जी हमारी या उनकी

2022-11-12
By: अनिल रघुराज
On: November 12, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

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ande ka khol

जैसे अंडे की खोल

2022-11-11
By: अनिल रघुराज
On: November 11, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

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purane ka rona

पुराने का क्या रोना!

2022-08-30
By: अनिल रघुराज
On: August 30, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

bhashayen

भाषाएं संस्कृति की वनस्पति

2022-08-29
By: अनिल रघुराज
On: August 29, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

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culture or agenda

संस्कृति नहीं, एजेंडा

2022-07-10
By: अनिल रघुराज
On: July 10, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

debate and participation

बहस की संस्कृति, भागीदारी की राजनीति

2022-05-04
By: अनिल रघुराज
On: May 4, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

sab ek jaise

जो गुजरा और जो है, सभी तो एक!

2022-02-13
By: अनिल रघुराज
On: February 13, 2022
In: ऋद्धि-सिद्धि

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without debate society dead

मृत समाज में ही तानाशाही

2021-09-10
By: अनिल रघुराज
On: September 10, 2021
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

प्रकृति से जान, संस्कृति से पहचान

2021-05-17
By: अनिल रघुराज
On: May 17, 2021
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

श्रमजीवी का सत्कार, परजीवी को दुत्कार

2021-05-01
By: अनिल रघुराज
On: May 1, 2021
In: ऋद्धि-सिद्धि

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निवेश – तथास्तु

  • कंपनियां वही सही, जो रिटर्न दें जमकर
    22 Jan 2023

    हमें शेयर बाज़ार में निवेश करने से पहले भलीभांति समझ लेना चाहिए कि कंपनियां निवेशकों के स्वामित्व वाली सामाजिक इकाई हैं जिनका मकसद है अपने निवेशकों द्वारा लगाई गई पूंजी पर रिटर्न को अधिक से अधिक करते जाना। रिटर्न का यूं बढ़ना कंपनियों के शेयर के भावों में झलकता है, भले ही वे कंपनियां लिस्टेड हों या न हों। हां, लिस्टेड कंपनियों में सहूलियत यह होती है कि उनके शेयर के भाव हर दिन स्टॉक एक्सचेंज में […]

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क्या आप जानते हैं?

  • कोरोना काल का पहला मेगा स्कैम!

    जर्मन मूल की ग्लोबल ई-पेमेंट कंपनी वायरकार्ड ने बैंकिंग और इसके नजदीकी धंधों में अपने हाथ-पैर पूरी दुनिया में फैला रखे थे। फिर भी उसका कद ऐसा नहीं है कि इसी 25 जून को उसके दिवाला बोल देने से दुनिया के वित्तीय ढांचे पर 2008 जैसा खतरा मंडराने लगे। अलबत्ता, जिस तरह इस मामले में …

अपनों से अपनी बात

  • साल में 41-112%, मिले है सिर्फ यहां!

    भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

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जानिए

  • ज़ीरो-सम गेम नहीं है यह
  • ईटीएफ: चलो बाजार खरीद लें
  • मायने आईपीओ ग्रेडिंग के
  • जवाब कमोडिटी बाजार के

बूझिए

  • ओपन ऑफर, बायबैक, डीलिस्टिंग
  • इश्यू मूल्य और बुक बिल्डिंग
  • गुत्थी ऋण बाजार की
  • यह कासा बला क्या है?

आज़माइए

  • मोटामोटी दस बातें शेयरों की
  • गोल्ड ईटीएफ एक, दाम अनेक
  • न करें कम एनएवी का लालच
  • फायदे म्यूचुअल फंड निवेश के

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