बाजार डांवाडोल है। कभी इधर तो कभी उधर भाग रहा है। यह 2008 में लेहमान के संकट के बाद की स्थिति का दोहराव है। उस वक्त भी सारे पंटर और बाजार के पुरोधा कह रहे थे कि सेंसेक्स 6000 तक चला जाएगा। अक्सर लोगबाग टीवी स्क्रीम पर आ रही कयासबाजी देखते हैं और मान बैठते हैं कि जैसा कहा जा रहा है, वैसा ही होगा। लेकिन वे एनालिस्टों की चालाकी पर गौर नहीं करते हैं जो कहतेऔरऔर भी

मैने हाल ही में अखबार में एक लेख पढ़ा जिसमें बताया गया है कि 1.60 लाख करोड़ रुपए के बाजार में महज 250 करोड़ रुपए से किसी भी एफ एंड ओ (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) सौदे को नचाया जा सकता है। यह संभव भी लगता है। जरा गौर कीजिए। बाजार में कल तक का ओपन इंटरेस्ट 1.66 लाख करोड़ रुपए का था और इसमें से करीब एक लाख करोड़ रुपए निफ्टी के पुट व कॉल ऑप्शन के हैं।औरऔर भी

आईबीएम का एक विज्ञापन आपने देखा होगा जिसमें सच तक पहुंचने के लिए डाटा या आंकड़ों की अहमियत समझाई गई है। बाजार के संबंध में सीएनआई रिसर्च भी तमाम ऐसे डाटा उपबल्ध करा रही है। वह डेरिवेटिव सौदों के जिन आंकड़ों के आधार पर निफ्टी में लक्ष्य का निर्धारण करती है, उन्हें उसने अपनी वेबसाइट पर मुफ्त में उपलब्ध करा रखा है। कोई सीएनआई का सदस्य हो या न हो, इन्हें देख-परख सकता है। सीएनआई की वेबसाइटऔरऔर भी

जैसी कि उम्मीद थी, बाजार (निफ्टी) 6000 से 6100 अंक के बीच डोलता रहा। इस दायरे को काफी सुविधाजनक स्तर माना जा रहा है। बाजार के तमाम खिलाड़ी बैंक निफ्टी में नए सिरे से शॉर्ट हो गए हैं यह मानते हुए कि बैंक निफ्टी ने टेक्निकल एनालिस्टों की भाषा में डोजी कैंडल जैसा कुछ बना रखा है और इसमें 12,400 के बाद कोई उठापटक नहीं होनी है। पुट-कॉल अनुपात (पीसीआर) गलत तस्वीर दिखा रहा है क्योंकि इसमेंऔरऔर भी