रीयल्टी में तैयारी है उड़ान की

जैसी कि उम्मीद थी, बाजार (निफ्टी) 6000 से 6100 अंक के बीच डोलता रहा। इस दायरे को काफी सुविधाजनक स्तर माना जा रहा है। बाजार के तमाम खिलाड़ी बैंक निफ्टी में नए सिरे से शॉर्ट हो गए हैं यह मानते हुए कि बैंक निफ्टी ने टेक्निकल एनालिस्टों की भाषा में डोजी कैंडल जैसा कुछ बना रखा है और इसमें 12,400 के बाद कोई उठापटक नहीं होनी है। पुट-कॉल अनुपात (पीसीआर) गलत तस्वीर दिखा रहा है क्योंकि इसमें 4000 का ओपन इंटरेस्ट शामिल है जो करोडों में है। इस तरह खिलाड़ियों के काफी ज्यादा शॉर्ट होने की अपेक्षा बाजार से कुछ ज्यादा ही चाहने जैसा है।

हकीकत में पुट-कॉल अनुपात या पीसीआर बेहद सामान्य है और प्रमुख पुट व कॉल सौदे 6000 से 6100 अंकों के बीच हुए हैं। इसलिए बाजार इसी दायरे में रहेगा। बहुत से काउंटरों पर अब ज्यादा खरीद की स्थिति बन चुकी है। इसलिए निवेशकों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। केवल रीयल्टी सेक्टर ऐसा है जहां सुस्त परफॉर्मेंस दिख रही है। तेजड़ियों ने इस सेक्टर के लिए जबरदस्त रणनीति बना रखी है। धीरे-धीरे करके उन्होंने इस सेटलमेंट में रीयल्टी शेयरों के भावों को उनके उच्चतम स्तर के करीब पहुंचा दिया है जिसके चलते ट्रेडर इन्हें कैरी फॉरवर्ड या अगले सेटलमेंट में ले जाने में कतरा रहे हैं।

मसलन, डीएलएफ को लीजिए। वह 378 रुपए पर पहुंच गया है। निवेशक और ट्रेडर इस उम्मीद में अपनी पोजिशन काट रहे हैं कि अगले महीने करेक्शन के दौरान वे इसे खरीद लेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि ऑपरेटर उन्हें यह मौका नहीं मिलने देंगे। मेरा मानना है कि इस सेटलमेंट के अंत तक सभी रीयल्टी स्टॉक्स पंख पसार रहे होंगे और अक्टूबर में उनमें अब की सबसे बड़ी उड़ान देखी जा सकती है। डीएलएफ दो महीनों में 600 रुपए के ऊपर चला जाएगा। मेरे शब्द याद रखें। मैंने ऐसा ही कुछ तब कहा था जब यह 320 रुपए पर था। इसके बाद यह गिरते-गिरते 220 रुपए तक चला गया और अब फिर वापस 378 रुपए पर है। 400 रुपए के ऊपर जाते ही यह आसमान का रुख कर लेगा।

जिन लोगों को बाजार की मैट्रिक्स नहीं समझ में आती, असली चाल-ढाल और चरित्र नहीं समझ में आता, उनके लिए बेहतर होगा कि वे परचून की दुकान खोल लें या नहीं तो जंगल में जाकर कहीं राम-राम जपें।

अगर हर तरफ घाघ शिकारी घात लगाए न बैठे हों तो बचपन जैसी सरलता और बेफिक्री कौन नहीं चाहेगा।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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