पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बीमा कंपनियों के पूंजी बाजार में उतरने की राह खोल दी है। लेकिन उसके बोर्ड ने सोमवार को अपनी बैठक में कुछ ऐसी शर्तें तय कर दीं जिन्हें बीमा कंपनियों को अलग से पूरा करना होगा। साथ ही बोर्ड ने किसी भी आईपीओ (प्रारंभिक पब्लिक ऑफर) में रिटेल निवेशकों के लिए अब तक चली आ रही एक लाख रुपए निवेश की सीमा को बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया है। इसकेऔरऔर भी

बाजार में निवेश का निर्णय कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है। जैसे, अगर हम इंडियाबुल्स रीयल एस्टेट (बीएसई कोड – 532832, एनएसई कोड – IBREALEST) का मामला लें तो इसका प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) और पी/ई अनुपात इसमें कतई निवेश की इजाजत नहीं देता। इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 1.12 रुपए है। शेयर कल बीएसई में 2.07 फीसदी बढ़कर 209.65 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह उसका पी/ई अनुपात निकलता है 187.36। इतनेऔरऔर भी

अभी तक लिस्टेड कंपनियां अपनी शेयरधारिता का ब्यौरा हर तिमाही के बीतने पर साल में चार बार सार्वजनिक करती रही हैं, भले ही तिमाही के दौरान कितना भी उलटफेर हो जाए। लेकिन अब शेयरधारिता में जब भी कभी दो फीसदी से ज्यादा की घट-बढ़ होगी, उन्हें उसके दस दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेजों को सूचित करना होगा और एक्सचेंज इस सूचना को तत्काल अपनी वेबसाइट पर कंपनी की उद्घोषणा के रूप में पेश कर देंगे। यह फैसलाऔरऔर भी

भारतीय नौवहन निगम लिमिटेड, हिंदी में यही नाम है शिंपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड या एससीआई का। बुधवार को करीब 11.30 बजे कंपनी ने एक छोटी सी घोषणा की कि वह 29 मई को होनेवाली निदेशक बोर्ड की बैठक में अपनी अधिकृत शेयर पूंजी बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकती है। इससे पहले 26 अप्रैल को उसने स्टॉक एक्सचेंजो को सूचित किया था कि वह 29 मई को निदेशक बोर्ड की बैठक में 31 मार्चऔरऔर भी