भंडारण सुविधाओं की तंगी से तंग आकर सरकार ने चार साल पहले गेहूं निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध उठा लिया है। यह फैसला करीब हफ्ते भर पहले 11 जुलाई को मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की बैठक में लिया जा चुका है। लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार ने दिल्ली में यह जानकारी शनिवार को दी। जब उनसे मीडिया ने पूछा कि क्या गेहूं निर्यात पर बैन हटाया जा चुका है तो उनका जवाब था, “हां, अब कोईऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने देश में अगले आठ हफ्तों तक विवादास्पद कीटनाशक एंडोसल्फान के उत्पादन, ब्रिकी व इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। उसका कहना है कि मानव जीवन इस दुनिया में किसी भी चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। शुक्रवार को इस मसले पर गौर कर रही प्रधान न्यायाधीश एस एच कापडिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत इस अदालत के विभिन्न फैसलों और खासकर सतर्कताऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में एंडोसल्फान कीटनाशक पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन व न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर सोलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को 11 मई को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने को कहा। वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल ने सीपीएम की युवा इकाई डेमोक्रेटिकऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बेल्लारी जिले की 19 खदानों पर रोक लगा दी है कि वहां से लौह अयस्क का खनन या उसका लाना-ले जाना नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह फैसला शुक्रवार को सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एस एस कपाडिया की अध्यक्षता वाली विशेष खंडपीठ ने कहा कि यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) ने जिन 68 अन्य खदानों को अवैध ठहराया है, उनके खिलाफ भी आदेश जारी कियाऔरऔर भी

कृषि में इस्तेमाल होनेवाले कीटनाशक एंडोसल्फान पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर वाम दल और बीजेपी एक साथ आ गए हैं। मंगलवार को वाम दलों के सांसदों के एक समूह ने इस मांग को लेकर संसद भवन में विरोध प्रदर्शन किया। वहीं बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि एंडोसल्फान इतना हानिकारक कीटनाशक है कि इसे अधिकांश देश प्रतिबंधित कर चुके हैं। ऐसे में इसे प्रतिबंधित न करके सरकार जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होने देऔरऔर भी

एक महत्वपूर्ण आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार किसी भी उत्पाद के निर्यात पर पिछली तिथि से प्रतिबंध नहीं लगा सकती। न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए एक निजी कंपनी को दूध पाउडर के निर्यात की अनुमति दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध संपन्न हो चुके सौदों पर लागू नहीं किए जा सकते, जहां लेटर फ क्रेडिट या साख पत्र प्रतिबंध लगाए जाने से पहले ही जारी हो चुकेऔरऔर भी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 7 अप्रैल को ही पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के उस आदेश पर लगाया गया स्टे उठा लिया जिसमें सहारा समूह की कंपनियों द्वारा आम जनता से धन जुटाने की मनाही की गई थी। इसका मतलब साफ हुआ कि सेबी द्वारा नवंबर 2010 में जारी आदेश लागू हो गया है और सहारा समूह की कंपनियां पब्लिक से धन नहीं जुटा सकतीं। लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स समूह के बिजनेस अखबार, मिंट की एकऔरऔर भी

सरकार ने दालों के निर्यात पर लगी पाबंदी और एक साल के लिए बढ़ा दी है। मौजूदा रोक की अवधि 31 मार्च 2011 को खत्म हो रही थी। लेकिन अब इसे 31 मार्च 2012 तक बढ़ा दिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बुधवार को जारी एक अधिसूचना में कहा है, “दालों के निर्यात पर प्रतिबंध की मीयाद 31 मार्च 2012 तक बढ़ा दी गई है।” लेकिन यह रोक काबुली चने के निर्यात पर नहीं लागू होगी।औरऔर भी

केंद्र सरकार ने दो दवाओं के इस्‍तेमाल पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। ये दवाएं हैं – गैटीफ्लॉक्‍सासिन और टेगासेरॉड। सरकार ने यह फैसला इन दवाओं से स्‍वास्‍थ्य को हो रहे खतरे को देखते हुए लिया है। सरकार का कहना है कि इन दवाओं सुरक्षित विकल्‍प मौजूद हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इन दवाओं के उत्‍पादन, बिक्री व वितरण पर जनहित में रोक लगाना आवश्‍यक है। यह रोक ड्रग्‍स एंड कॉस्मेटिक्‍स एक्ट, 1947 की धाराऔरऔर भी