चप्पे-चप्पे पर कोई न कोई काबिज़ है। हर विचार किसी ब्रह्म ने नहीं, इंसान ने ही फेंके हैं और उनके पीछे किसी न किसी का स्वार्थ है। हम भी स्वार्थ से परे नहीं। ऐसे में विचारों को अगर निरपेक्ष सत्य मानते रहे तो कोई दूसरा हमें निगल जाएगा।और भीऔर भी