रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के बायबैक प्रस्ताव ने काफी निराश कर दिया। उसका शेयर तो बायबैक की घोषणा के पहले ही 15 फीसदी की बड़ी बढ़त ले चुका था। ऐसे में शुक्रवार के बंद भाव पर महज 10 फीसदी का प्रीमियम निवेशकों को मंजूर नहीं है। खासकर तब, जब कंपनी के तीसरी तिमाही के नतीजे बाजार की अपेक्षा से भी काफी कमजोर रहे हैं। निवेशकों की इसी निराशा को दर्शाते हुए आरआईएल का शेयर आज 2.66 फीसदी गिरकरऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट में सहारा समूह और पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी का मुकदमा लंबा खिंचता जा रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दो कंपनियों – सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन (वर्तमान नाम – सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन से कहा है कि वे तीन हफ्ते में तय कर लें कि ओएफसीडी (ऑप्शनी फुली कनवर्टिबल डिबेंचर) के 2.3 करोड़ निवेशकों के धन को कैसे सुरक्षित करेंगी। इनमें से अधिकांश निवेशकऔरऔर भी

जब सारे लोग यूरोपीय देशों के डाउनग्रेड के असर और एफआईआई ब्रोकरेज हाउसों की तरफ से लगातार घटाई जा रही रेटिंग के परेशान थे और इनके आधार पर निफ्टी के 4000 तक गिरने का निष्कर्ष निकाल रहे हैं जिसका साथ मीडिया के तमाम विश्लेषक भी दे रहे थे, तब इकलौता एक शख्स था जिसका मानना था कि जनवरी में ऐसा कतई नहीं होगा। और, वह शख्स था मैं। मैंने आपको बताया था कि मेरे आकलन के हिसाबऔरऔर भी

सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। अदालत ने सैट (सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्राब्यूनल) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें उसने सहारा समूह की दो कंपनियों को 17,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एस एच कापड़िया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सहारा समूह की याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख मुकर्रर कीऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की बड़ी मुश्किल आसान कर दी है। अब शेयर बाजारों में लिस्टेड कोई भी कंपनी न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए सीधे अपने शेयर बेच सकती है। इसके लिए उसे कोई पब्लिक इश्यू लाने की जरूरत नहीं होगी। वह ऐसा इंस्टीट्यूशन प्लेसमेंट प्रोग्राम (आईपीपी) या स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए ब्रिकी प्रस्ताव लाकर कर सकती है। सेबी के बोर्ड ने मंगलवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय कोई न कोई स्कीम चलाकर निवेशकों से सामूहिक रूप से धन जुटानेवाली कंपनियों पर नियंत्रण रखने के लिए अलग नियामक संस्था बनाने पर विचार कर रहा है। इसके दायरे में स्पीक एशिया जैसी कंपनियां भी आ जाएंगी जो किसी न किसी बहाने आम लोगों को लुभाती हैं और कानूनी कमियों को फायदा उठाकर उनका धन लेकर चंपत हो जाती है। ऐसा होने जाने पर सहारा समूह भी पहले की तरफ लोगों से धन नहीं जुटाऔरऔर भी

साल 2012 में बाजार का पहला दिन। हर ब्रोकरेज हाउस व बिजनेस अखबार नए साल के टॉप पिक्स लेकर फिर हाजिर हैं। चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प सामने हैं। ऐसे में आपको और क्यों उलझाया जाए! हालांकि अगर साल 2011 के टॉप पिक्स का हश्र आपके सामने होगा तो शायद आपने इस हो-हल्ले को कोई कान ही नहीं दिया होगा। इन पर ध्यान देना भी नहीं चाहिए क्योंकि ढोल, झांझ, मजीरा व करताल लेकर यह मंडलीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति शून्य के करीब पहुंच चुकी है। चीन ब्याज दरों में कटौती के मूड में है। भारत भी ब्याज दरों में कटौती से मुंह नहीं मोड़ सकता। इन सारी बातों से यही लगता है कि बाजार को अब पलटकर बढ़ना चाहिए। सेबी ने माना है कि आईपीओ में धांधली होती है और इनमें निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन तथ्य यह है कि सबसे ज्यादा नुकसान खुद भारत सरकार को हुआ है क्योंकि आईपीओ मेंऔरऔर भी

बाजार में गिरावट का चक्र जारी है। निफ्टी 4701-80 तक जाने के बाद नीचे उतरा है। सेटलमेंट के आखिरी दिन उम्मीद के अनरूप भारी उथल-पुथल या वोलैटिलिटी का आलम है। लेकिन आगे के सारे संकेत शुभ नजर आ रहे हैं। मेरा मानना है कि दिसबंर सेटलमेंट के साथ 2011 में बद से बदतर जो भी होना था, हो चुका है। कल से एक नया सेटलमेंट शुरू हो रहा है जो 2012 का पहला सेटलमेंट है। यह बाजारऔरऔर भी