धांधागर्दी पर कसने लगी है नकेल

बाजार में गिरावट का चक्र जारी है। निफ्टी 4701-80 तक जाने के बाद नीचे उतरा है। सेटलमेंट के आखिरी दिन उम्मीद के अनरूप भारी उथल-पुथल या वोलैटिलिटी का आलम है। लेकिन आगे के सारे संकेत शुभ नजर आ रहे हैं। मेरा मानना है कि दिसबंर सेटलमेंट के साथ 2011 में बद से बदतर जो भी होना था, हो चुका है। कल से एक नया सेटलमेंट शुरू हो रहा है जो 2012 का पहला सेटलमेंट है। यह बाजार में फिर से चहक को वापस ले आएगा।

अब बाजार नियामक संस्था, सेबी भी चौकन्नी हो गई है और उन सभी खामियों को पकड़ रही है जिनका इस्तेमाल बाजार में जबरदस्ती की उथल-पुथल पैदा करने के लिए किया जाता है। इससे यकीनन पूंजी बाजार की प्रतिष्ठा को फिर से जमाने में मदद मिलेगी। सेबी ने आखिरकार बड़ी कार्रवाई करके आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) में होनेवाली धांधली की नकेल कस दी है।

सेबी चेयरमैन ने तो यहां तक कहा है कि इन मामलों को प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी अन्य एजेंसियों के हवाले कर दिया जाएगा जो छानबीन के बाद सार्वजनिक जानकारी दे सकती हैं कि इससे किस कदर अघोषित कमाई हुई है और इसमें हवाला कारोबार का वास्ता कहां तक रहा है। यह रिटेल निवेशकों के मिजाज को उठाने का पहला कदम है, लेकिन आखिरी नहीं। हमें निवेशकों की पूंजी को बचाने के लिए लगातार एक के एक, कई कदम उठाने होंगे। तभी आईपीओ बाजार में फिर से जान आएगी। फिर, अकेले आईपीओ बाजार का सुधर जाना ही शेयर बाजार की हालत सुधार सकता है।

सेबी ने पी-नोट पर जो आंकड़े जारी किए हैं, उनसे पता चलता है कि डेरिवेटिव समेत एफआईआई के सारे निवेश में पी-नोट का हिस्सा 19 फीसदी को पार कर गया है। यह साल 2011 का उच्चतम स्तर है। इसका सामान्य स्तर 14-15 फीसदी रहता है। इनमें डेरिवेटिव सौदे 7 फीसदी हैं। इससे जाहिर होता है कि शॉर्ट सेलिंग के लिए बखूबी स्टॉक लेंडिंग का सहारा लिया जा रहा है।

बाजार में बहुत ही जल्द वापसी की जबरदस्त संभावना है क्योंकि आनेवाले हफ्तों में पी-नोट के सौदे काटने से शेयरों में भारी मांग निकल सकती है। विदेशी निवेशकों की तरफ से लगाए जानेवाले धन में बड़ा उलटफेर नहीं किया जाना है। इसलिए शायद भारत जैसे उभरते बाजारों में एफआईआई द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली न की जाए। लेकिन कमोडिटी में लगा धन इक्विटी शेयरों में आने का रास्ता जरूर पकड़ सकता है।

आप मन ही मन किसी खेत को नहीं जोत सकते। इसके लिए तो आपको ट्रैक्टर या हल लेकर खेत में उतरना ही पड़ता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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