या तो नीचे मार या ऊपर का खेल

जब सारे लोग यूरोपीय देशों के डाउनग्रेड के असर और एफआईआई ब्रोकरेज हाउसों की तरफ से लगातार घटाई जा रही रेटिंग के परेशान थे और इनके आधार पर निफ्टी के 4000 तक गिरने का निष्कर्ष निकाल रहे हैं जिसका साथ मीडिया के तमाम विश्लेषक भी दे रहे थे, तब इकलौता एक शख्स था जिसका मानना था कि जनवरी में ऐसा कतई नहीं होगा। और, वह शख्स था मैं।

मैंने आपको बताया था कि मेरे आकलन के हिसाब से निफ्टी को 4980 पर पहुंचना है, और अब वो लक्ष्य बहुत ज्यादा दूर नहीं है। 4650 से 4950 तक पहुंचकर निफ्टी 300 अंकों की बढ़त ले चुका है और ए ग्रुप के तकरीबन सभी प्रमुख शेयरों में 30 फीसदी का सुधार आ चुका है। यह साफ तौर पर मेरी इस धारणा की पुष्टि करता है कि हम उचित माहौल में नहीं है, भले ही इसे कोई मानें या न माने। यह बाजार के उस्तादों का धंधा बन गया है जिसमें तमाम एफआईआई उनकी मिलीभगत से हर सेटलमेंट में इधर या उधर किसी भी तरफ 30 फीसदी की कमाई कर लेना चाहते हैं। और, डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट न होने के चलते वे अपने खेल में आराम से कामयाब हो जा रहे हैं। यह एक बार फिर साबित करता है कि जब वे चाहते हैं, तब खुद को दुनिया से अलग बता देते हैं और जब चाहते हैं तो कह देते हैं कि ऐसा वैश्विक कारकों के चलते हुआ।

आज 170 कंपनियों के स्टॉक ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में डाल दिए गए हैं। यह उनके भावों को खींचने का बहुत आसान तरीका है क्योंकि सामान्य निवेशक इस श्रेणी में फंडिंग के अभाव और ब्रोकरों पर लगी बंदिश के चलते खरीद में शिरकत कर नहीं सकता। क्विंटेग्रा सोल्यूशंस महीने भर पहले 2.50 रुपए पर था। आज भी 2.50 रुपए पर है। लेकिन इसे ट्रेड टू ट्रेड में डाल दिया गया, वो भी 20 फीसदी की सर्किट सीमा के साथ सीधे बी ग्रुप से। ऐसे तमाम स्टॉक्स के साथ यही सलूक किया गया है।

आखिर इसका क्या तुक है? एक्सचेजों में अलग-अलग मानक हैं और वे बी ग्रुप के स्टॉक्स में सही कामकाज नहीं होने देना चाहते। इससे दो प्रमुख सवाल उठते हैं। एक, ऐसी हालत में स्टॉक की लिस्टिंग का मतलब ही क्या है? दो, क्या सारे बाजार में एफ एंड ओ की ही इकलौती श्रेणी होनी चाहिए? या, एक्सचेंज इन कंपनियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अपने स्टॉक एसएमई सेगमेंट में शिफ्ट कर दें? वैसे, निवेशकों के लिए किसी स्टॉक को ट्रेड टू ट्रेड में डाल देना उस स्टॉक को खरीदने का अच्छा संकेतक होना चाहिए क्योंकि ऑपरेटर ज्यादातर रिटेल निवेशकों की भागादारी न होने से इस मौके का फायदा न्यूनतम संभव समय में शेयरों को सही भाव पर लाने या दूसरे शब्दों में चढ़ाने के लिए करते हैं।

यह देखना वाकई बेहद तकलीफदेह और विचित्र है कि जब किसी स्टॉक का भाव 100 फीसदी तक भी गिर जाए, तब ट्रेड टू ट्रेड का नियम नहीं लगता, लेकिन किसी स्टॉक के महज 27 फीसदी बढ़ने पर यह नियम लगा दिया जाता है और वह भी तब, जब यह बढ़त पूरे बाजार में आई तेजी का नतीजा हो। अजीब है, उधर ऊपर में डेरिवेटिव सौदों का खेल और इधर 100 फीसदी अनिवार्य डिलीवरी वाले ट्रेड टू ट्रेड या ट्रेड फॉर ट्रेड श्रेणी की जकड़बंदी!!!

यह मेरी व्यक्तिगत राय है और बाजार के नियामक, सेबी के लोग अगर इसे पढ़ रहे हैं तो उन्हें इस विसंगति पर गौर करना चाहिए और इसे दूर करना चाहिए ताकि कैश बाजार को व्यापक बनाया जा सके। इसी कदम से वे बाजार में रिटेल निवेशकों को वापस लाने में कामयाब हो सकते हैं। दिक्कत यह है कि रिटेल निवेशकों को एफ एंड ओ में खेलने की लत लगती जा रही है और वो हर दिन उस्तादों के खेल के चलते अपनी जेब खाली करते जा रहे हैं।

खैर, फिलहाल लांग पोजिशन तभी पकड़ें, जब निफ्टी 4980 के बंद स्तर पर लगातार खुद को जमाए रहता है। हम चूंकि इससे ज्यादा दूर नहीं हैं, इसलिए हमने तो सारी मुनाफावसूली कर ली है और अब करेक्शन का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि गिरावट या करेक्शन के बिना रोलओवर सम्पन्न नहीं होगा। ध्यान रखें कि 26 जनवरी को छुट्टी का दिन है। इसलिए रोलओवर में अब केवल छह दिन बचे हैं।

ए ग्रुप के शेयरों में 20 से 30 फीसदी सुधार हो चुका है। यह ऊपर बताए गए कारणों से इस सेटलमेंट के लिए पर्याप्त है। इसलिए अब तेजी की लहर बी ग्रुप के स्टॉक्स में आनी चाहिए, नहीं तो यही कहा जाएगा कि यह रैली टिकाई नहीं रखी जा सकती।

किसी इंसान की परख इससे नहीं होती कि वह आराम व सुविधा के क्षणों में क्या करता है, बल्कि इससे होती है कि वह चुनौती व विवाद के दौर में क्या बर्ताव करता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

1 Comment

  1. Its always a pleasure to read your articles.

    regards,
    Shishir

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