बाज़ार है तभी मूल्य मिलता और दौलत बनती है। समृद्धि पैदा करने और उसका आधार फैलाने में बाज़ार का कोई दूसरा जोड़ीदार नहीं। जो लोग बाज़ार को गाली देते हैं वे असल में समाजवाद के नाम पर जाने-अनजाने सरकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। गांठ बांध लें कि भारत अभी जिस मुकाम पर है, वहां मोदी हों या न हों, अर्थव्यवस्था का जबरदस्त विकास होना है और बढेंगी अच्छी कंपनियां। इन्हीं की शिनाख्त करते हैं हम…औरऔर भी

याद रखें कि शेयर बाज़ार अपने-आप में कुछ नहीं। वो अंततः अर्थव्यवस्था की छाया है। हमारी अर्थव्यवस्था अभी उस मुकाम है जहां से उसकी अनंत संभावनाएं खुलने जा रही हैं। मंथन चल रहा है। तलहटी में पड़े मुद्दे उभर कर सामने आ रहे हैं। पूरा देश समाधान खोजने में लगा है। विदेश गई प्रतिभाएं वापस आती जा रही हैं। अब भविष्य किसी सरकार का मोहताज नहीं। ऐसे में तथास्तु लगा है अच्छी कंपनियां चुनकर सामने लाने में…औरऔर भी

सच है कि खेती में बरक्कत नहीं। नौकरी में भी बरक्कत नहीं, बस गुजारा चल जाता है। दलाल ही हर तरफ चहकते दिखते हैं। पर यह आंशिक सच है। इसी समाज में नारायणमूर्ति जैसे लोग भी हैं। इनफोसिस के शेयरों की बदौलत उनका ड्राइवर भी चंद सालों में करोड़पति बन गया। हमें धंधे में बरक्कत करनेवाली ऐसी कंपनियां ही चुननी होंगी। इनमें निजी कंपनियां भी हैं और सरकारी भी। आज तथास्तु में ऐसी ही एक सरकारी कंपनी…औरऔर भी

जिस तरह एफडी करने का कोई नियत साल नहीं होता, सोना या ज़मीन खरीदने का कोई बंधा-बंधाया समय नहीं होता, वैसे ही शेयर बाज़ार में निवेश करने का पक्का समय नहीं होता। अतिरिक्त धन हुआ तो लगा दिया और ज़रूरत पड़ी तो निकाल लिया। दूसरे माध्यमों की तरह यह भी निवेश का एक माध्यम है। फर्क बस इतना है कि मुद्रास्फीति को मात देने की समयसिद्ध क्षमता अच्छी कंपनियों में ही होती है। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

वजह बाहरी हो या भीतरी, हकीकत यही है कि अपने यहां अभी एक शेयर 52 हफ्ते के शिखर पर है तो आठ तलहटी पर। गिरनेवालों में एसीसी, सेंचुरी प्लाई, ग्रासिम इंडस्ट्रीज़ और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसे तमाम दिग्गज शामिल हैं। क्या तलहटी पर पहुंचा हर शेयर खरीदने लायक है? नहीं। बस नाम व दाम के पीछे भागे तो वैल्यू ट्रैप में फंस जाएंगे। हमें चुननी होगी मजबूत आधार और अच्छे प्रबंधन वाली कंपनी। लीजिए, ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम की सारी खानापूरी हो चुकी है। 23 नवंबर को वित्त मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया और 6 दिसंबर को पूंजी बाजार नियामक, सेबी ने सर्कुलर जारी कर दिया। इन दोनों को पढ़कर आप स्कीम के सारे नुक्तों से वाकिफ हो सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि ये उन बचतकर्ताओं के लिए है जिन्होंने अभी तक शेयर बाजार में निवेश नहीं किया है। हालांकि इसमें वे निवेशक भी शामिलऔरऔर भी

सार्वजनिक अस्पतालों को चलाने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है, जबकि निजी अस्पताल महंगे होने के बावजूद लोगों से पटे रहते हैं और करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं। यह मानसिकता और पद्धति का सवाल है। ब्रिटेन में सब्सिडी चलती है तो हेल्थकेयर सिस्टम पिटा पड़ा है। जर्मन में स्वास्थ्य बीमा चलता है तो हेल्थकेयर सिस्टम चकाचक है। भारत में सब घालमेल है। लेकिन ‘जान है तो जहान है’ और परिजनों के लिए कुछ भी करनेवालेऔरऔर भी

इंडियन मेटल एंड फेरो एलॉयज (बीएसई कोड – 533047, एनएसई कोड – IMFA) देश में फेरोक्रोम की सबसे बड़ी निर्माता है। दुनिया में फेरो एलॉयज की सबसे बड़ी निर्माताओं में शुमार है। हमने अपने चक्री चमत्कार कॉलम में सबसे पहले इसका जिक्र इस साल मार्च में किया था। तब इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 560 रुपए के आसपास चल रहा था। अभी 729 रुपए पर है। इस बीच 4 मई को इसने 899.95 रुपए परऔरऔर भी

नितिन फायर प्रोटेक्शन इंडस्ट्रीज (बीएसई कोड – 532854, एनएसई कोड – NITINFIRE) तीन दशक पुरानी कंपनी है। तमाम अग्निशामक उपकरणों के साथ ही सीएनजी सिलेंडर भी बनाती है। राजस्थान के एक ऑयल ब्लॉक से कच्चा तेल निकालने के लिए बने कंसोर्टियम में भी 10 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। उसकी एक सब्सिडियरी ने दुबई की एक फायर प्रोटेक्शन कंपनी में 40 फीसदी हिस्सेदारी ले रखी है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून की तिमाही में उसकी आय 67.3औरऔर भी

नवनीत पब्लिकेशंस का उस नवनीत पत्रिका से कोई वास्ता नहीं है जिसके संपादक विश्वनाथ सचदेवा हैं। यह कंपनी तो स्कूली बच्चों की किताबों के प्रकाशन और स्टेशनरी का व्यवसाय करती है। और, क्या खूब करती है। नवनीत पब्लिकेशंस ने मार्च 2010 में खत्म हुए वित्त वर्ष 2009-10 में 523.31 करोड़ रुपए की बिक्री पर 68.47 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। केवल मार्च 2010 की तिमाही की बात करें तो उसकी बिक्री 100.61 करोड़ व शुद्धऔरऔर भी