सरकार विदेशी निवेशकों के बीच देश की छवि को बचाने और विपक्ष के हमले से बचने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने पर मजबूर हो गई है। इसी कड़ी में बुधवार को सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए राजा, उनके निजी सचिव आर के चंदोलिया और पूर्व टेलिकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा को गिरफ्तार कर लिया। इन तीनों पर पद का दुरुपयोग करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली करने औरऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के संबंध में कैग की रिपोर्ट को कमतर आंकने वाले बयानों को लेकर दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की खिंचाई की है और उनसे जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करने को कहा है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मंत्री को जिम्मेदारी का कुछ तो अहसास होना चाहिए।’’ न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह किसी के भी बयानों से प्रभावित हुएऔरऔर भी

सीबीआई ने दो दशक से अधिक पुराने बोफोर्स मामले में इतालवी व्यवसायी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ कार्यवाही वापस लेने का यह कहते हुए बचाव किया है कि उसे आयकर अपीली न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के आदेश के मद्देनजर सरकार से कोई ताजा निर्देश नहीं मिला है। बता दें कि क्वात्रोच्चि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद यादव के समक्ष जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिए है कि वे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 2001 से लेकर 2008 तक की अवधि की पूरी जांच करें। इस निर्देश के साथ ही एनडीए और यूपीए दोनों के शासनकाल की दूरसंचार नीतियां अब जांच के दायरे में आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच में सरकारी खजाने को हुए नुकसानऔरऔर भी

देश के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पूरे के पूरे सत्र में हंगामे और शोरगुल के अलावा एक भी काम नहीं हुआ। 9 नवंबर से शुरू और 13 दिसंबर को समाप्त हुए शीत्र सत्र ने संसद में गतिरोध का नया रिकॉर्ड बना दिया है। लेकिन सत्तारूढ़ दल विपक्ष की इस मांग को अब भी मानने को तैयार नहीं है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संसदीय समिति (जेपीसी) से कराई जाए। यूपीए सरकारऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई का यह सुझाव खारिज कर दिया है कि उसे 2जी स्पेक्ट्रम मामले में अपना फैसला और निर्देश सीलबंद कवर में जारी करना चाहिए। मामले पर गौर कर रही जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि य़ह फैसला खुली अदालत में आएगा और सीलबंद कवर में आदेश देना न्याय के हित में नहीं होगा। इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि इससे जबरदस्त कयासबाजी शुरूऔरऔर भी

शुक्रवार को सूत्रों के हवाले दिन भर खबर आती रही कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी इस बात की जांच कर रही है कि हाउसिंग लोन घोटाले में शामिल लोगों व फर्मों ने कुछ कंपनियों के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग तो नहीं की है। असल में इसमें एलआईसी के सचिव (निवेश) नरेश चोपड़ा पर यही आरोप है कि वह मनी मैटर्स फाइनेंशियल से रिश्वत लेकर उन कंपनियों की जानकारी दिया करता है जिनमें एलआईसी निवेश करनेवाली है।औरऔर भी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने तत्काल प्रभाव से वी के शर्मा को एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस का नया सीईओ बना दिया है। श्री शर्मा अभी तक देश के दक्षिणी जोन के लिए एलआईसी के जोनल मैनेजर थे और चेन्नई में बैठते थे। उनकी नियुक्ति पर सोमवार को एलआईसी के निदेशक बोर्ड की बैठक में औपचारिक मुहर लगा दी जाएगी। इससे पहले बुधवार को एलआईसी हाउसिंग के तत्कालीन सीईओ आर रामचंद्रन नायर को हाउसिंग लोन घोटाले में सीबीआईऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों को हिदायत दी है कि वे उन तमाम कंपनियों से जुड़े लेन-देन की कायदे से जांच करें जिनके नाम सीबीआई ने हाउसिंग लोन घोटाले के सिलसिले में अदालत में दाखिल अर्जी में लिखे हैं। उन्होंने इन सभी संस्थाओं से कहा कि वे नामजद कंपनियों को दिए गए ऋणों का स्वतंत्र आकलन करें और देखें कि इनमें निर्धारित मानकों का पालन कहां तकऔरऔर भी

हाउसिंग लोन घोटाले में सीबीआई ने 17 कंपनियों को नोटिस भेजा है। इनमें से पांच कंपनियों के बारे में सीबीआई का कहना है कि इन्होंने बैंक अधिकारियों को घूस देकर हासिल करीब 1000 करोड़ रुपए के कर्ज की रकम शेयर बाजार में लगा दी। दो प्रमुख बिजनेस चैनलों ने सूत्रों के हवाले यह खबर दी है। उनका कहना है कि इसमें से एक कंपनी ने 560 करोड़, दूसरी ने 300 करोड़ और बाकी तीन ने 50-60 करोड़औरऔर भी