ठोकर अक्सर!
प्रकृति की संरचनाएं जैसी जटिल हैं, वैसी ही जटिलता हमारे भाव-संसार, विचारों की दुनिया और सामाजिक रिश्तों में भी है। जो इसे नहीं देख पाते या नज़रअंदाज़ करते हैं, वे अक्सर ठोकर खाते रहते हैं।और भीऔर भी
सजीव विचार
विचारों को बाहर से ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता है। उसी तरह, जैसे हम किसी पौधे में ऊपर से फूल नहीं टांक सकते। फूल तो पौधे की जटिल संरचना के भीतर से ही निकलते हैं, कहीं से टपकते नहीं।और भीऔर भी
ऑटो-पायलट मोड
यहां किसी कर्ता की जरूरत नहीं। ऑटो-पायलट मोड में है सब कुछ। आज से नहीं, जब से सृष्टि बनी, तब से। संरचनाएं जटिल होती गईं। नए भाव बनते गए। लेकिन चलता रहा ऑटो-पायलट मोड।और भीऔर भी
शेयर बाजार के तंत्र से जुड़ी संस्थाओं की लिस्टिंग नहीं: जालान समिति
पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी की तरफ से भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति ने शेयर बाजार के तंत्र से जुड़ी तीन संस्थाओं – स्टॉक एक्सचेंजों, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉरपोरेशन के मालिकाने, स्वरूप और उनके आपसी संबंधों में व्यापक फेरबदल की सिफारिश की है। उसका कहना है कि किसी भी स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी या क्लियरिंग कॉरपोरेशन की लिस्टिंग नहीं होनी चाहिए। समिति ने सोमवार, 22 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सेबीऔरऔर भी